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जन-कथाओ मे नारी
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(५) नीलीबाई ने अपने पीलव्रत की परीक्षा मे सफलता प्राप्त की
और नगरदेव ने उनकी प्रशस्ति का गान किया। गीली चाई की कथा, पु० फ० कोश (६) काश्मीर नरेश की त्रिभुवनरति नामक पुत्री अपने वीणा वादन कुशलता का प्रदर्शन करती है और घोषणा करती है कि जो उसे बीणा के बजाने मे पराजित करेगा वही उसका पति होगा ।
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नागकुमार मानदेव की कथा, पृ० क० कोश (७) मैना सुन्दरी अपनी व्रत साधना के बल पर ग्रुपने पति को कुष्ठरोग से मुक्त करती है ।
श्रीपाल एव मैना सुन्दरी की कथा, पुण्याव्यव कथा कोश (८) सोम शर्मा ब्राह्मण की पत्नी अकारण ही स्वपति से डडो की मार खाकर अपने भाग्य को कोसती है और अपने प्रबोध बच्चो को साथ लेकर गिरनार पर्वत पर भगवान की शरण में रहने लगती है।
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श्रग्निला ब्राह्मणी को कथा, पुण्याश्रव कथा कोश
(१) रानी मदन सुन्दरी अपनी हडता एवं सत्याग्रह से जैन धर्म की प्रभावना करती है और प्रभावती देवी के ग्रासन को कम्पायमान कर देती है । श्राराधना कथा कोश भाग १, पृष्ठ १८२ (१०) रानी चेलिनी सम्राट् श्रणिक को प्रबोधन देकर अपने कर्तव्य का पालन कराती है ।
प्रा० क० कोश भाग १- महाराज सिह की कथा-पृष्ठ १५४ श्र (११) राजा सिंहसेन की रानी रामदत्ता अपने चातुर्य से पुरोहित के कहने से समुद्रदत्त के रत्नो को प्राप्त करती है और न्याय का एक आदर्श उपस्थित करती है। श्रीभूति पुरोहित की कथा, आ० क० को० भाग २ (१२) चारु दत्त सेठ की कथा से स्पष्ट है कि नारी वेश्या बनकर कितनी कठोरता से मानवता का नाश करती है ।
(१३) विवाह एक धार्मिक सस्कार है जिसमे दो हृदयों का आजीवन बन्धन स्वीकृत किया जाता है । ऐसी स्थिति मे कन्या के विचारों का जानना आवश्यक है । इस सदर्भ मे प्रभावती का कथन उल्लेख्य है । प्रभावती के सकल कलाओ मे निपुरा तथा जवान होने पर एक दिन वायुरथ प्रभावती से बोला बेटी, सम्पूर्ण विद्याधरों के कुमारो मे तुझे कौन घंष्ठ जान पडता है, जिसके साथ तेरा विवाह कर दूँ । प्रभावती वोली, पिताजी, मुझे जो गति - युद्ध मे जीत लेगा, उसी के साथ विवाह करूँगी अन्य के साथ नही ।" जयकुमार सुलोचना की कथा - पुण्याश्रव कथाकोश