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________________ जैन कथाओ का सांस्कृतिक अध्ययन त्रिवेणी की लहरो का गान । उषा का था, उर मे आवास, मुकुल का मुख मे मृदुल विकास, चाँदनी का स्वभाव मे भास, विचारो मे बच्चो के सास । सामाजिक सीमा की परिधि में आबद्ध नारी के विविध स्वरूप हमे जैन कथा मे देखने को मिलते है । भगवान् जिनेन्द्रदेव की जननी के रूप मे वह विश्व वन्दनीय है तो वैधव्य के शाप से शापित वह सर्वत्र अपमानित है। कभी वह महिपी बनकर राज सभा मे बैठती है तो कभी चेरी बनकर अपने सतीत्व को भी कतिपय मुद्रा की उपलब्धि के लिए बेचने को बाध्य होती है। कभी वह अपनी प्रवीणता से राजाओ को चकित करती है तो कभी सीत से प्रपीडित बनकर आत्महत्या के कूप मे स्वयं को पटक देती है । कभी वह आवेश में आकर पाप कर्म करने के लिए कटिबद्ध होती है और फलत अपने सौन्दर्य को खोकर अपकीर्ति के दल-दल मे फंस जाती है तो कभी साध्वी बनकर आध्यात्मिक उपदेशो की वर्षा करने लगती है। कभी वह वेश्या बनकर अपनी उदर पूर्ति हेतु जघन्य से जघन्य पाप करने को आतुर होती है तो कभी अपने सतीत्व के कारण देवताओ की आराध्य देवी बन जाती है । कभी वह पतिव्रता वनकर एक महान आदर्श की स्थापना करती है तो कभी व्यभिचारिणी बनकर अपनी कामानुरता का प्रदर्शन कर लोक मे घृणा की दृष्टि से देखी जाती है प्रादि आदि। यहाँ जैन कथाओं के माध्यम से नारी के विविध बाञ्छनीय एव प्रवाञ्छनीय रूपो की झांकियां प्रस्तुत की जाती है 1 (१) माली की दो लडकियाँ केवल जिन मंदिर की देहली पर एकएक फूल चढाने के कारण मरने के उपरान्त सौधर्म इन्द्र की पत्नियाँ बनी थो । माली की लडकियो की कथा - पुण्याश्रव कथा कोश, पृष्ठ १ (२) श्रावस्ती नामक नगरी के सेठ सागरदत्त की पत्नी नागदत्ता सोमशर्मा नामक ब्राह्मण से अनुचित सम्बन्ध स्थापित कर अपनी पतन - शीलता का परिचय देती है । कर कुण्ड की कथा - पुण्याभय कथा कीरा रानी अभयवती लज्जा के कारण की सखी भागकर पटना में वेश्या पुण्याभव कथा कोश (३) सुदर्शन सेठ की कथा मे प्रात्मघात करती है और पडिता नाम बनकर रहने लगती है । (४) रानी प्रभावती अपने शील के प्रभाव से देव पूज्या बनती है और नारी के आदर्श को ससार के सम्मुख रखकर नारी जाति की प्रतिष्ठा बढ़ाती है। प्रभावती रानी की कथा, पु० क० को०
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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