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________________ जैन कथानो का सास्कृतिक अध्ययन सिक्तकर उस पर भस्म लगाते । फिर उन्हे नगर के चौराहो पर घुमाया जाता, घूसो, लातो, डण्डो और कोडो से पीटा जाता, उनके ओठ, नाक, और कान काट लिए जाते थे, रक्त से लिप्त मास को उनके मुह मे डाला जाता और फिर खण्ड-परह से अपराधो की घोषणा की जाती । इसके सिवाय लोहे या लकडी मे अपराधियो के हाथ पैर बाँध दिये जाते थे। खोड मे पैर बाँध कर ताला लगा दिया जाता। हाथ, पैर जीभ सिर गले की घण्टी अथवा उदर को छिन्न-भिन्न कर दिया जाता, कलेजा, आँख, दॉत और अण्डकोष आदि मर्म स्थानो को खीचकर निकाल लिया जाता। शरीर के छोटे-छोटे टुकडे कर दिये जाते, रस्सी मे बाँध कर गड्ढे मे ओर हाथ बाँधकर वृक्ष की शाखा मे लटका देते थे । स्त्रियाँ भी दण्ड की भागी होती थी, यद्यपि गर्भवती स्त्रियो को क्षमा कर दिया जाता। चोरो की भाँति दुराचारियो को भी शिरोमु डन, तर्जन, ताडन, लिंगच्छेदन, निर्वासन, और मृत्यु आदि दण्ड दिये जाते थे। चोरी और व्यभिचार की हत्या भी महान् अपराध गिना जाता था। हत्या करने वाले अर्थदिण्ड ओर मृत्युदण्ड के भागी होते ये ।' ___ "प्रादि पुराण स्वय एक कथाग्रन्थ है । इनमे एक ओर शासन-प्रणाली का विशद् विवरण दिया गया है तथा दूसरी ओर शासन-पद्धति को कार्यान्वित करने के हेतु दण्ड-व्यवस्था का भी उल्लेख किया गया है । दण्डाधिकारी की उस सदर्भ मे उपयोगिता बताते हुए ग्रन्थकार ने उसको योग्यताप्रो की भी चर्चा की है। "दण्डाधिकारी का दूसरा नाम धर्माधिकारी भी है। आदिपुराण मे उसको अधिकृत या अधिकारी शब्द द्वारा अभिहित किया गया है । दण्डाधिकारी राष्ट्र मे न्याय पूर्वक प्रत्येक कार्य का निर्णय करता और उस निर्णय के अनुसार लोगो को चलने के लिए बाध्य करता था। प्रशासन सम्बन्धी कार्य की देख रेख इसी के द्वारा सम्पन्न होती थी । यह पक्षपात रहित न्याय करता था। राग-द्वेष शून्य, लोभ-मोह आदि दुर्गुणो से रहित होता था। किसी भी प्रकार के प्रलोभन इसे अपने कर्तव्य-पथ से विचलित नही कर सकते थे। न्याय करने मे यह अपने सहयोगियो से भी सलाह लेता था। अपराधो की छानबीन करना और निष्पक्ष रूप से अपराध का दण्ड देने की घोषणा दण्डाधिकारी का कार्य था ।" 1 2 जैनागम साहित्य मे भारतीय समाज-ले डॉ० जैन पृष्ठ ८१-८३ । आदिपुराण मे प्रतिपादित भारत-ले० डॉ० नेमिचन्द्र जैन पृष्ठ ३५४ ।
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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