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________________ जैन कथाओ का सास्कृतिक अध्ययन आदि जैनेतर कथा साहित्य मे भी प्राप्त होती है । इसका अभिप्राय यही है कि जैन कथा साहित्य सार्वभौतिकता की व्यापक भावभूमि पर खडा हुआ है । हम उसे किसी समुदाय या धर्म विशेष की सकुचित सीमात्र मे नही बाध सकते । और न उसका क्षेत्र किसी एक देश या युग तक ही सीमित है । उसका विश्व व्यापी महत्व है और युग विशेष से ऊपर उठकर वह विश्व साहित्य की चिरतन और शाश्वत धरोहर है । समग्र मानव जाति की वह अमूल्य सम्पत्ति है और यह प्रसन्नता की बात है कि इसी सार्वजनीन और सार्वभौमिक रूप मे जैन कथा साहित्य की अमूल्य सम्पत्ति का उपयोग भी हुआ है । जैन कथा साहित्य न केवल भारतीय कथा साहित्य का जनक रहा है अपितु सपूर्ण विश्व कथा साहित्य को उसने प्र ेरणा दी है । भारत की सीमाओ को लाघकर जैन कथाऐ अरब, चीन, लका, योरोप आदि देश - देशान्तरो मे पहुची है और अपने मूल स्थान की भाँति वहाँ भी लोक प्रिय हुई है । योरोप में प्रचलित अनेक कथाए जैन कथाओ से अद्भुत साम्य रखती है । उदाहरण के लिये नायधिम्म कहा, चावल के पाच दाने की कथा कुछ बदले हुए रूप मे ईसाइयो के धर्मग्रन्थ 'बाइबिल' मे प्राप्त होती है । चारुदत्त की कथा का कुछ श जहाँ वह बकरे की खाल मे बन्द होकर रत्नद्वीप पर जाता है सिन्धवाद जहाजी की कहानी से पूर्णत मिलता जुलता है । प्रसिद्ध योरोपीय विद्वान ट्वानी ने कथाकोष की भूमिका मे यह स्पष्ट कर दिया है कि विश्व कथायो का मूल स्त्रोत जैनो का कथा साहित्य ही है, क्योकि जैन कथाकोषो की कहानियो और योरोप की कहानियो मे पर्याप्त साम्यता है तथा यह भी निश्चित है कि ये सब की सब कहानियाँ जैन कथा साहित्य से उधार ली गई है । ट्वानी ने अनेक उदाहरणो द्वारा इस बात को सिद्ध किया है । १२० प्रसिद्ध योरोपीय विद्वान प्रोफेसर जैकोवी ने अपनी 'परिशिष्ट पर्व' की भूमिका मे एक स्त्री और उसके प्र ेमी की एक जैनकथा को उद्धृत किया है । आश्चर्य की बात है कि यही कहानी ज्यो की त्यो चीन के लोक साहित्य मे प्रचलित है और फ्रान्स मे भी कुछ रूपान्तर के साथ लोक प्रिय है । 'अलिफ 'लैला' (आरवोपन्यास) की कहानियों का मूल आधार भी जैन कथा साहित्य है, यह बात कुछ आश्चर्य जनक सी प्रतीत होती हुई भी सत्य है । 'अलिफ लैला' में एक बजीर की लडकी बादशाह की मलिका बनकर प्रति रात्रि एक कहानी सुनाकर अपने प्राण बचाती है । इसी प्रकार श्रावश्यक चूरिंग की कहानी 'चतुराई का मूल्य' है जिसकी नायिका कनकमजरी प्रति रात्रि एक कहानी सुनाने का लोभ देकर अपने पति को, जो कि राजा है ६ मास तक
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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