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________________ १२ जैन कथानो का सास्कृतिक अध्ययन (१०) ऋद्धि के प्रभाव से वडा और छोटा रूप बनाना तथा तीन डगो मे समस्त भू-मण्डल को नाप लेना आदि। विष्णु कुमार मुनि की कथा श्रा. क कोष प्रथम भाग पृष्ठ १२० (११) तपस्या मे सलग्न दिगम्बर मुनि के सामने शिकारी कुत्तो का नत मस्तक हो जाना एव विपाक्त और तीक्ष्ण वाणो का पुष्पवत् होना। महाराज श्रेणिक की कथा, आ. क कोष प्रथम भाग पृष्ठ १५७ (१२) व्रत के प्रभाव से हिंसक जल-जीवो से भरे हुए जलाशय मे फेके गए मतुष्य की रक्षा होना तथा तालाब में उसके सम्मानार्थ देवो द्वारा भव्य सिंहासन का निर्माण । यमपाल चाडाल की कथा, प्रा. कथा कोष प्रथम भाग पृष्ठ १८४ (१३) पूज्य चारण ऋद्धि धारी मुनिराज को आहार देने से स्वर्ग के देवो द्वारा रत्नो की वर्षा का किया जाना, कल्पवृक्षो के सुन्दर और सुगन्धित फूलो की वर्षा होना, अनायास दुन्दुभि वाजो का बजना, मद-सुगव वायु का चलना एव जय-जयकार का चारो दिशाग्रो मे होना आदि । दान करने वालो की कथा, प्रा कथा कोष तृतीय भाग पृष्ठ २२३ (१४) भक्तामर स्तोत्र का जाप करने से असाध्य रोगो का शमन होना, दावाग्नि का शान्त होना, क्रुद्ध पारावार का शमित होना, भयावह तूफान का विलीन होना हिंसक पशुओ का दया होना, निर्धन का धनपति बनना, विपत्तियो का नष्ट होना, सर्प-दश से बचना आदि । भकामर स्तोत्र की कथाएँ। (१५) व्रत-पूजादि से असाध्य कुष्ठ रोग का निर्मूल होना । मैनासुन्दरी की कथा । (१६) मुनि दर्शनादि से जाति स्मरण हो जाना । (१७) कल्पवृक्षो से मनोकामना की पूर्ति होना । (१८) विभिन्न प्रकार के देवी देवताओ से असभव कार्यों का सभाव्य रूप मे प्रदर्शन । (१६) जिनेन्द्र भगवान की माता की सेवामे देवियो का सलग्न रहना, इनके (जिनेन्द्र देव के) जन्मोत्सव पर स्वर्ग से इन्द्रो का आना, सुमेरु पर्वत पर क्षीर सागर के जल से इनका स्नान कराना, इस मगलमय अवसर पर देवागनायो का नृत्य करना एव गधर्व देवो द्वारा प्रशस्ति-गान आदि । आराधना कथा कोष भाग पृष्ठ १९६
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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