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जैन कथाओ के ऐतिहासिकता
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अनेक कथा ऐतिहासिक तत्व को लिए हुए है। किसी मे भेलसा (विदिशा) पर म्लेच्छो (शको) के ऐतिहासिक माक्रमण का उल्लेख है तो किसी मे नन्द राजा और उनके मत्री शकटार आदि का वर्णन है। किसी मे मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त और उनके गुरु श्रुतकेवली भद्रवाहु का चरित्र-चित्रण किया गया है तो किसी अन्य मे उज्जैन के गर्दभिल्न और विक्रमादित्य का वर्णन है । साराश यह कि जैन कथा ग्रन्थो मे भी बहुत सी ऐतिहासिक सामग्री बिखरी पडी है । महाकवि हरिषेण विरचित कथाकोश विशेष रूप से दृष्टव्य है।
__ जैन साहित्य मे कुछ ऐसे काव्य एव चरित्रग्रन्थ भी है जो विशुद्ध ऐतिहासिक है। उनमे ऐतिहासिक महापुरुषो का ही इतिहास ग्रन्थबद्ध किया गया है। इस प्रकार का पर्याप्त साहित्य श्वे० जैन समाज द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है। ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, ऐतिहासिक रास सग्रह आदि पुस्तके उल्लेखनीय है। पार्श्वचरित्र, महावीर चरित्र, भुजबलि चरित्र, जम्बूस्वामी चरित्र, कुमारपाल चरित्र, वस्तुपाल रास इत्यादि अनेकानेक चरित्र ग्रन्थ इतिहास के लिए महत्व की वस्तु है ।
जेन सस्कृत साहित्य मे पुरातन प्रबध ग्रन्थ इतिहास की दृष्टि से विशेष मूल्यवान है । ये प्रबध-ग्रन्थ एक प्रकार के विशद निबन्ध है, जिनमे किसी ऐतिहासिक घटना अथवा विद्वान् या शासक का परिचय कराया गया है । श्री मेरुतु गाचार्य का प्रवन्ध चिन्तामरिण प्रबध-ग्रन्थो मे उल्लेखनीय है, जो सिंघी जैन ग्रन्थमाला मे छप भी चूका है। इस प्रकार जैन साहित्य मे इतिहास की अपूर्व सामग्री बिखरी पड़ी है। दक्षिण के जैन कन्नड और तामिल साहित्य मे भी अपार ऐतिहासिक सामग्री सुरक्षित है किन्तु उसके अन्वेषण की आवश्यकता है। तामिल का 'शिलप्पाधिकारम्' काव्य और कन्नड का 'रावली कथा' नामक ग्रन्थ भारतीय इतिहास के लिए अनूठे ग्रन्थ रत्न है ।।
1, जैन साहित्य मे प्राचीन ऐतिहासिक सामग्री-ले० श्री कामता प्रसाद जैन
(प्रेमी अभिनन्दन ग्रन्थ) पृष्ठ ४५८