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जैन कथानो मे ऐतिहासिकता
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3 सूर्य मित्र और चाडाल पुत्री की कथा 4 लोक-देवता (प्रो० चेतनप्रकाश पाटनी) मरुधर केशरी अभिनन्दन
ग्रन्थ
5 मृगसेन धीवर की कथा
या क को दूसरा भाग 6 दृढ सूर्य चोर की कथा
पुण्याश्रव कथाकोश 7 जैन रामायण चतुर्थ सर्ग (कृष्णलाल वर्मा) पृष्ठ १५३ 8 श्री वकिरण राजा की कथा
या कथा कोश 9 नागकुमार कामदेव की कथा
दिगम्बर एव श्वेताम्बर आम्नायो का क्या इतिहास है और इनका विकास किस प्रकार हुअा है ? इस सन्दर्भ मे नन्दिमित्र की कथा, पुण्याश्रव कथाकोष पुष्ठ २६८ पर्याप्त प्रकाश डालती है।
वेश्या-वृत्ति का भी एक इतिहास है। प्राचीन काल में राजकुमार शिष्टाचार की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वेश्याग्रो के यहाँ भेजे जाते थे और ये राजपुत्र वहाँ रहकर जीवनोपयोगी बहुत सी बातो को सीखते थे। ये गान-नृत्य विशारदा वेश्याएँ अपने सद्व्यवहार एव शिष्टाचार-पद्धति से अनेक युवको को सहज ही मे विमोहित कर लेती थी । कुछ ऐसी कथाएँ भी उपलब्ध होती है जिनसे ज्ञात होता है कि कभी-कभी नवयुवक वेश्या की पुत्रियो से विवाह भी कर लेते थे। इस सम्बन्ध मे नागकुमार कामदेव की की कथा उल्लेख्य है। इस कथा को उद्धृत करते हुए श्री परमेष्ठीदास जी जैन लिखते है कि जैन शास्त्रो मे विजातीय विवाह के अनेक प्रमाण उपलब्ध है । नागकुमार ने तो वेश्या पुत्री से विवाह किया था, फिर भी उनने दिगम्बर मुनि की दीक्षा ग्रहण की थी। इतना होने पर भी वे जैनियो के पूज्य : बने रहे । जैन शास्त्रो मे जब इस प्रकार के सैकडो उदाहरण मिलते है जिनमे विवाह सम्बन्ध के लिए किसी वर्ण, जाति या धर्म का विचार नहीं किया गया है और ऐसे विवाह करने वाले स्वर्ग और मोक्ष को प्राप्त हुए है, तब एक ही वर्ण एक ही धर्म और एक ही प्रकार के जैनियो से पारस्परिक सम्बन्ध (अतर्जातीय विवाह) करने मे कौन सी हानि है ? 2
1 पुण्याधव कथाकोश, दूसरी वृत्ति, प्रकाशक जिनवाणी प्रचारक
कार्यालय, कलकत्ता, पृष्ठ १२६ 2 जैनधर्म की उदारता पृष्ठ ६८