________________
जैन कथाओ का सास्कृतिक अध्ययन
परन्तु दरिद्रता का अभाव नही था । दा
साधारणतया लोग खुशहाल थे, प्रथा मौजूद थी, ऋरण आदि न चुका सकने कारण दास-वृत्ति अगीकार करनी पडती थी । स्त्रियो की दशा बहुत अच्छी नही थी, यद्यपि वे मेले उत्सव यादि के अवसर पर स्वतंत्रता पूर्वक बाहर आ जा सकती थी । वेश्याएँ नगरी की शोभा मानी जाती थी, और राजा उनके रूपबल की प्रशंसा करता था । व्यापार बहुत तरक्की पर था । व्यापारी लोग दूर-दूर तक अपना माल लेकर बेचने जाते थे ।
1
८४
►
कुछ जैन कथाएँ तो हजारो वर्ष पुरानी है, जिनके अध्ययन से भारत के प्राचीन इतिहास पर पर्याप्त प्रकाश पडता है । समय के अन्तराल से अनेक ऐतिहासिक तथ्य धूमिल हो रहे है और उनकी सच्चाई पर सन्देह भी होने लगा है, लेकिन सतत निप्पक्ष अन्वेषण से सत्य स्पष्ट हो ही जाता है । कतिपय ऐसी जैन कथाएँ हे जिनमे कल्पना के सहारे रोचकता की अभिवृद्धि की गई है लेकिन ऐतिहासिकता की उपेक्षा नही हो पाई है ।
चाणक्य के क्रोध ने किस प्रकार की कूटनीति की सर्जना की और किस ढंग से नन्द वंश को विनाश की आग मे पटका, इसका परिज्ञान नन्दिमित्र की कथा ( पुण्याश्रव कथाकोष - पृष्ठ १९३ ) से हो सकता है । रामकथा से सम्बन्धित जैन कथाओ के अनुशीलन से कई ऐसे तथ्य सामने आते है जो प्राचीन इतिहास की सच्चाई को प्रभावित करते है और वानर-वश एव राक्षस - बश की ऐतिहासिकता को अक्षुण्ण रखते है | पटना ( पाटलिपुत्र ) राजगृही, वनारस, विन्ध्यदेश, उज्जयिनी विदिशा, अयोध्या, हस्तिनापुर, खानदेश कौशाम्बी, चम्पापुर, चौल देश, बुन्देलखड, बघेलखड, विहार, उडीसा, महाराष्ट्र, कु तलदेश, सोरठ आदि की राजव्यवस्था क्या थी ? इन भू-भागो की प्राचीनता क्या है, यहाँ के शासको की पुरातन शासन प्रणाली क्या थी ? इत्यादि का परिचय हमे जैन कथाप्रो से उपलब्ध हो सकता है ।
द्यूत,' स्वयवर' नाग पूजा ", यक्ष-पूजा, दहेज प्रथा, वेश्या - वृत्ति ", नरमास-भक्षरण े, बहुपत्नी प्रथा, विजातीय विवाह' आदि की पुरातनता को जानने के लिए निम्न जैन कथाओ का अध्ययन भी सहायक सिद्ध हो सकना है ।
1 नागकुमार कामदेव की कथा
2 पूतिगधा और दुर्गन्धा की कथा -
1 दो हजार वर्ष पुरानी कहानियाँ - ( भूमिका पृष्ठ १० - ११ )
पुण्याश्रव कथाकोश पुण्याश्रव कथाकोश