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३८ | जैन कथामाला (राम-कथा) से कन्या के उपयुक्त वर है। वह देवों द्वारा भी अकम्पित और विद्याधरों में सर्वश्रेष्ठ है।
-आपकी सम्मति सर्वथा उचित है।-राजा ने सहमति दी और अपनी पुत्री सहित स्वयंप्रभ नगर आकर रावण के साथ कन्या का विवाह कर दिया।
विवाहोत्सव करने के वाद मय विद्याधर तो अपने नगर को चला गया और रावण सुन्दरी मन्दोदरी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।
छह हजार विद्याधर कन्याएँ मेघरव पर्वत के एक सरोवर में जल-क्रीड़ा कर रही थीं। ___रावण भी वहाँ क्रीड़ा निमित्त आया । खेचर कन्याओं ने सुरूप और शक्तिवान युवक देखा तो कामाभिभूत हो गईं। कामदेव के प्रवल वेग से लज्जा त्यागकर कन्याएँ बोलीं-हे महाभाग ! हमें पत्नी रूप में स्वीकार करो।
अचानक ही इतनी स्त्रियों की प्रणय याचना ने रावण को विस्मय में डाल दिया। उसके मुख से कोई शब्द ही न निकल' सका । आतुर कन्याओं ने ही पुन: कहा-हमारी विनय स्वीकार करो।
दशानन ने उन पर एक दृष्टि डाली और उन्हें स्वीकार कर लिया। वहीं उन सबके साथ गांधर्व विवाह किया और विमान में विठाकर ले चला।
१ मन्दोदरी के पाणिग्रहण-संस्कार के समय ही मय ने अमोघ शक्ति रावण को दी जिसके द्वारा उसने राम के अनुज लक्ष्मण को मूच्छित किया था।
[वाल्मीकि रामायण, उत्तरकाण्ड]