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________________ :५: सपत्नियों का षडयन्त्र । MSEX एक रात्रि को सीता ने स्वप्न में देखा कि दो अष्टापद प्राणी विमान में से गिरकर उसके मुख में प्रवेश कर गये । अपना स्वप्न सीता ने राम को सुनाया तो उन्होंने कहा-देवि ! तुम्हारे दो वीरपुत्र होंगे किन्तु......" -किन्तु क्या स्वामी ? -विमान से गिरना, अशुभसूचक है । ----आपके प्रताप से सब शुभ ही होगा। -सीता ने प्रसन्नमुख कहा । मातृत्व के गौरव ने उसके हृदय में अशुभ को स्थान ही नहीं दिया । __ सीता पहले ही राम को प्रिय थी और गर्भवती होने के बाद तो अतिप्रिय हो गई। राम उसके चन्द्रमुख को चकोर की भांति देखते रहते। ___'सती सीता गर्भवती हो गई है', सपत्नियों की ईर्ष्या के लिए यह काफी था किन्तु राम के अत्यधिक प्रेम ने तो उनकी ईर्ष्याग्नि में घी ही डाल दिया। वे रात-दिन सीता को तिरस्कृत कराने का उपाय सोचने लगीं। जिन खोजा तिन पाइयाँ' आखिर एक उपाय उन्हें सूझ ही गया । कपटी सपत्नियों ने बड़े मीठे स्वर में सीता से कहा
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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