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हस्त- प्रहस्त की मृत्यु | ३४६ होती दिखाई देती तो दूसरे ही क्षण दूसरे की । समान पराक्रमी वीरों की जय-पराजय का पूर्व अनुमान नहीं हो पाता । घोर युद्ध के मध्य नल ने क्षुरप्रवाण से हस्त का कण्ठच्छेद कर दिया । उसी समय नील
१. युद्ध की व्यूह रचना के समय ही सुग्रीव मल्लयुद्ध गोपुर के चबूतरे और दुर्ग को खाई में हुआ । २. यहाँ अंगद का दूत कर्म दिखाया गया है । ३. हस्त-प्रहस्त को मृत्यु यहाँ भी नल और नील
और रावण का
[ युद्ध काण्ड ]
[ युद्ध काण्ड ] के हाथों हुई है।
[ युद्धं काण्ड ]
(३) तुलसीकृत रामचरितमानस में भी युद्ध के दिनों की सख्या तो स्पष्ट नहीं बताई है किन्तु रात्रि होते ही युद्ध वन्द होने का स्पष्ट उल्लेख है । इस प्रकार गणना करने से यह प्रतिभासित होता है कि राम-रावण युद्ध ८ दिन तक चला ।
पहले ही दिन हनुमानजी ने मेघनाद के सारथि को मार दिया, रथ तोड़ दिया और मेघनाद के वक्षस्थल पर पाद- प्रहार करके उसे विह्वल कर दिया । तव दूसरा सारथि उसे उठाकर उसके निवास पर ले गया । इसके पश्चात हनुमान और अंगद ने मिलकर रावण का महल ढहा दिया । [लंका काण्ड दोहा, ४३ - ४४]
अपनी सेना को विह्वल और रणक्षेत्र से भागती देखकर अकंपन और अतिकाय नाम के राक्षस सेनापतियों ने माया फैलाई । पलभर में चारों ओर अन्धकार छा गया ।
श्रीराम ने यह रहस्य जान लिया । उन्होंने धनुष पर चढ़ाकर अग्नि वाण छोड़ा जिससे चारों ओर प्रकाश फैल गया और राक्षसी माया नष्ट हो गई ।
इसके पश्चात सूर्यास्त तक वानर तथा राक्षस वीरों में युद्ध होता रहा और सूर्यास्त के बाद दोनों सेनाएँ अपने-अपने शिविरों को लौट गई । [ लंका काण्ड, दोहा ४५-४७ ]