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३४८ | जैन कथामाला (राम-कथा) ___ रणवाद्य बजते ही सुभट परस्पर भिड़ गये। वानर और राक्षस वीरों में घोर युद्ध होने लगा। खड्ग, मुगद्र, गदा आदि अस्त्रों का खुलकर प्रयोग हुआ। युद्ध में वानर वीरों ने राक्षसों के विचलित कर दिया। राक्षस सेना भंग हो गई। __ अपनी सेना को भंग होते देख राक्षसवीर हस्त और प्रहस्त आगे आये । उनका मुकाविला किया वानरवीर नल और नील ने । नल ने हस्त और नील ने प्रहस्त की गति को रोक दिया। ___ चारों वीर परस्पर युद्ध करने लगे। एक क्षण एक की विजय '
विशेष-(१) लंका दहन की घटना उत्तर पुराण में विभीषण के राम से मिल जाने के बाद हुई है। घटना का उल्लेख इस प्रकार है
हनुमान ने राम से निवेदन किया-'आप आज्ञा दें तो हम लंका में जाकर उत्पात करें और उसके उद्यान को नष्ट कर रावण का मान भंग करें। इससे वह कुपित होकर बाहर निकल आयेगा और उसे मारना सुलभ होगा।
राम ने आज्ञा दे दी। हनुमान ने जाकर उद्यान को नष्ट कर दिया । राक्षसों ने विरोध किया तो वानरी विद्या से वानर-सेना बनाकर उनसे युद्ध किया और अन्त में महाज्वाल विद्या की सहायता से उसने नगर-रक्षकों को सूखी घास के समान जलाकर राख कर डाला।
इस प्रकार के उत्पात से हनुमान ने लंका में उपद्रव खड़ा कर दिया और वापिस चला आये ।
(श्लोक ५०५-५१५) (२) यह घटना युद्ध से पहले ही रावण को उत्तेजित करने के लिए हुई थी।
वाल्मीकि रामायण में भी युद्ध के दिनों का विभाजन नहीं किया , गया है; केवल वीरों के युद्ध और राक्षसों की मृत्यु आदि . घटनाओं का विवरण है । यहाँ रात्रि को भी युद्ध हुआ बताया और युद्ध तभी रुका है जब कोई विशिष्ट घटना हो गई, जैसे- लक्ष्मण को शक्ति लग जाने पर ।