________________
:११:
हस्त-प्रहस्त की मृत्यु
हंमद्वीप में आठ दिन विश्राम के पश्चात श्रीराम ने सेना सहित लंका की ओर प्रयाण किया । वहाँ पहुँचकर लंका के बाहर खुले मैदान में राम की सेना ने शिविर लगा दिया । उनके विशाल कटक से बीस योजन भूमि आच्छादित हो गई ।
1
राम की सेना के कोलाहल से लंकापुरी क्षुभित हो गई । तत्काल राक्षस वीर युद्ध के लिए सजने लगे । कोई हाथी पर, कोई घोड़े पर, कोई महिष पर तो कोई पैदल ही चल दिया । सभी योद्धा लंकापति रावण के चारों ओर एकत्र हो गये ।
रावण क्रोध से लाल नेत्र किये हुए अपने रथ पर सवार हुआ । उसके एक ओर कुम्भकर्ण और दूसरी तरफ इन्द्रजित तथा मेघवाहन आ खड़े हुए । उनके पीछे मय, मारीच, सुन्द, शुक्र, सारण आदि असंख्य वीर थे । इस प्रकार असंख्य अक्षौहिणी सेना लेकर रावण लंका से बाहर निकला ।
रावण की सेना में सिंह, अष्टापद, सर्प, मार्जार, श्वान आदि की ध्वजा वाले असंख्य सहस्र कोटि वीर थे । विभिन्न प्रकार के आयुधत्रिशूल, मुद्गर, कुठार, पाश आदि हाथ में लिए वे सुभट यमराज के समान ही दिखाई पड़ते थे । पचास योजन भूमि पर सेना ने अपना शिविर लगा दिया ।
+