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विभीषण का निष्कासन | ३४५
आता है तो आने दीजिए। उसके मनोभावों को जानकर जैसा उचित समझेंगे, वैसा करेंगे ।
उसी समय विभीषण को अच्छी तरह जानने वाला विद्याधर विशाल बोल उठा
- प्रभु
! राक्षसों में विभीषण ही धार्मिक वृत्ति वाला है । रावणं ने कुपित होकर इसे लंका से निकाल दिया है । इसीलिए आपकी शरण में आ रहा है |
बड़े और छोटे भाई में इतना मतभेद हो सकता है, राम स्वप्न में भी नहीं सोच सकते थे । वे तो समझते थे कि जैसे उनके भाई एकदूसरे पर प्राण निछावर करते हैं वैसे ही सभी भाई करते होंगे । विस्मित होकर पूछने लगे
- अग्रज ने अनुज को निकाल दिया ? ऐसा क्या कारण है ? - कारण हैं सीताजी ।
- कैसे ?
वाल्मीकि रामायण में
(१) रावण ने सुग्रीव को लंका छोड़ने की आज्ञा नहीं दी, केवल कठोर वचन ही कहे । वह स्वयं ही उन वचनों को न सह सका और चार योद्धाओं के साथ राजसभा छोड़कर श्रीराम की शरण में चला [ युद्धकाण्ड ] (२) प्रसन्न होकर राम ने लक्ष्मणजी से कहा -- 'समुद्र का जल ले आओ और उससे तुरन्त ही इस परम चतुर विभीषण का राक्षसों के राजा के रूप में अभिषेक कर दो। मैं इस पर बहुत प्रसन्न हूँ ।
गया 1
इस प्रकार राम ने लंका के और राक्षसों के स्वामी के रूप में विभीषण का राज्याभिषेक उसके शरण में आते ही कर दिया ।
[ युद्धकाण्ड ]