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३१० | जैन कथामाला (राम-कथा) अपने निवास पर चला आया और अन्य मन्त्रियों को बुलाकर कहने लगा
–मन्त्रियो ! इस समय दशमुख तो कामान्ध हो गया है। सीता के कारण विपत्ति आने ही वाली है। क्या किया जाय ?
मन्त्रियों ने उत्तर दिया
-हम तो नाम के मन्त्री हैं। वास्तविक मन्त्री तो आप हैं। आप की जैसी आज्ञा हो, हम लोग वैसा ही करने को तैयार हैं।
विभीषण ने खूब सोच-विचार कर लंका के किले पर यन्त्र आदि लगवा दिए । सभी भविष्य की चिन्ता में मग्न हो गये।
-त्रिषष्टि शलाका ७६ --उत्तर पुराण पर्व ६८ श्लोक ३४०-३६२