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नकली सुग्रीव | २९३
--दूत ! तुरन्त सुग्रीव राजा को यहाँ भेजो । श्रीराम लक्ष्मण जैसे प्रतापी पुरुषों के दर्शन सुलभ नहीं होते । वे दयालु और परोपकारी हैं । किष्किंधानरेश की व्यथा अवश्य दूर कर देंगे ।
अभिवादन करके दूत वहाँ से चला और सुग्रीव के पास आकर सम्पूर्ण समाचार कह सुनाया ।
डूबते को तिनके का सहारा ही बहुत होता है जिसमें तो रामलक्ष्मण जैसे तेजस्वी पुरुषों का आश्रय । दौड़ पड़ा सुग्रीव और सीधा पाताल लंका जा पहुँचा ।
विराध उसे राम के पास ले गया और बोला
-प्रभो ! ये किष्किंधानरेश सुग्रीव हैं। इनका कष्ट दूर कीजिए ।
राम के चरणों में नत होकर सुग्रीव ने अपनी सम्पूर्ण कथा कह सुनाई और अन्त में वोला
—यद्यपि आपको मुझ जैसे असमर्थ की सहायता की कोई आवश्यकता नहीं है परन्तु मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि सीताजी की खोज में कोई कसर नहीं छोडूंगा ।
वरवस ही राम के मुख पर मुस्कराहट आ गई। उन्होंने सुग्रीव को आश्वासन दिया
- किष्किंधानरेश ! हम स्वयं तुम्हारे साथ चलकर इस रहस्य से परदा उठा देंगे। तुम्हें तुम्हारी पत्नी और राज्य वापिस मिल जायेगा।
सुग्रीव के साथ राम किष्किंधापुरी की ओर चलने को तत्पर हुए। विराध ने भी साथ चलने का आग्रह किया तो उसे समझा-बुझाकर गहीं रोक दिया ।
किष्किंधा पहुँचकर राम नगरी के बाहर रुक गये । उनके