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२४० / जैन कथामाला (राम कथा) धाम से उनका स्वागत समारोह किया । सामान्य अतिथि ही सत्कार योग्य होता है तो राम जैसे पुरुषोत्तम की बात ही क्या थी ? __श्रीराम जव राजा से विदा मांग कर चलने लगे तो राजा ने पुत्री के विवाह का आग्रह किया। किन्तु 'वनवास से लौटने पर लक्ष्मण तुम्हारी पुत्री के साथ विवाह करेगा' कहकर राम ने बात समाप्त कर दी। राम-लक्ष्मण-जानकी तीनों मांजलि नगरी से चल दिये।
-त्रिषष्टि शलाका ७५