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________________ : १४ : केवली कुलभूषण और देशभूषण . -आप सब लोग भयभीत क्यों दिखाई देते हैं ? -श्रीराम ने . एक पुरुष से पूछा। -तीन दिन से प्रत्येक रात्रि को पर्वत के ऊपर भयंकर आवाजें होती हैं । इस कारण सभी लोग भयाक्रान्त है ? --उस पुरुष ने बताया। -आप लोगों ने इसका कारण जानने का प्रयास नहीं किया ? -साहस ही नहीं होता। -राजा भी जानने का प्रयास नहीं करता? -वह स्वयं ही भयाक्रान्त है। -तो रात कैसे गुजरती है ? -सभी लोग रात को अन्यत्र चले जाते हैं और प्रातःकाल फिर लोट आते हैं। . -यह तो वड़ा कष्टप्रद कार्य है । -जीवन-रक्षा के लिए करना ही पड़ता है। क्या करें? पर्वत पर न मालूम क्या रहस्य है ? श्रीराम ने उत्सुकतापूर्वक पर्वत की ओर देखा । पर्वत का नाम था वंशशैल्य और जिस नगर के वाहर यह वार्तालाप हो रहा था उसका नाम था वंशस्थल । .
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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