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· रानी सिंहिका का पराक्रम | १४६ सिंचन किया। सतीत्व का चमत्कार हुआ, तत्काल राजा का दाह ज्वर शान्त हो गया । देवताओं ने आकाश से पुष्पवृष्टि की। सिंहिका के सतीत्व की प्रतिष्ठा हुई। परित्यक्ता सिंहिका राजा की प्राणप्रिया बन गई।
कुछ समय पश्चात सिंहिका के गर्भ से सोदास नाम के पुत्र का जन्म हुआ। योग्यवय होने पर नघुष ने सोदास को राज्य पर आरूढ़ किया और सिद्धि के उपायस्वरूप स्वयं दीक्षा ग्रहण कर ली।
-त्रिषष्टि शलाका ७४
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