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७६ / जैन कथामाला (राम-कथा)
लोगों में वसु का बहुत अपयश फैला । उसके जीवन भर की सत्यवादिता इस एक झूठ के कारण मिट्टी में मिल गई। पर्वत को तो प्रजा ने नगरी से बाहर निकालकर ही दम लिया। __ अपमान और तिरस्कार की ज्वालो से दग्ध पर्वत ने महाकाल असुर को ग्रहण कर लिया।
- उत्तर पुराण पर्व ६७।२५६-४४०
त्रिषप्टि शलाका ७२
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