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________________ रत्नद्वीप जाने के लिये समुद्री मार्ग अत्यन्त कठिन था। जो व्यापारी वहाँ से लौट कर आता था वह अन्य व्यापारियों के समक्ष मार्ग की कठिनाइयों का वर्णन इस प्रकार करता था-समुद्र के पार करना दुष्कर है, रत्नद्वीप काफी दूर है, प्रचंड वायु, चपल बीजाप हवा (वीथि), चंचल तरंगे, बड़े-बड़े मच्छ, मगर एवं ग्राह, दीर्घयन्तु, गला देने वाली विमिंगली,392 रौद्र राक्षस, उड़ने वाले वेताल, दुर्लंध्य पर्वत, कुशलचोर, विकराल महासमुद्र के कारण रत्नद्वीप सर्वथा दुर्गम है। वहाँ का व्यापार सुन्दर है। जिसको अपना जीवन प्रिय न हो393 वह वहाँ से व्यापार करे। किन्तु जलमार्ग की उपर्युक्त कठिनाइयाँ भारत के उत्साही व्यापारियों के लिये उनके उद्देश्य के प्रति मनोबल को कम नहीं करती थी। अत: पुरुष वहीं है जो हृदय में ठान ले कि वह उसे पूरा करके ही छोड़ेगा।394 भरहुत की कला में एक स्थान पर एक जहाज का चित्रण हुआ है जिसमें एक तिमिंगल ने धावा कर दिया और जहाज से गिरे हुए कुछ यात्रियों को निगल रहा था। बेनीमाधव बरुआ के अनुसार भगवान बुद्ध की कृपा से तिमिंगल के मुख से वसुगुप्त की रक्षा का यह चित्रण है।395 10वीं श. में भी तिमिंगल का भय बना हुआ था ।396 जल यात्रा का प्रारम्भ बड़े मांगलिक ढंग से होता था।397 प्रस्थान की तिथि निश्चित हो जाने पर सार्थवाह नहा धोकर सुंदरवस्त्र एवं आभूषण से सुसज्जित होकर, अपने परिवार जनों के साथ जहाज पर बैठते थे। उनके चढ़ते ही तूर बजाया जाता, शंख फूके जाते, मांगलिक कार्यों को किया जाता, ब्राह्मण आशीर्वाद देते, गुरुजन प्रसन्नता व्यक्त करते, पत्नियाँ दुःखी हो जाती, मित्रजन हर्ष-विषाद युक्त होते, सज्जन पुरुष मनोरथ, कामना की पूर्ति के लिये भगवान से प्रार्थना करते और इस प्रकार मंगलस्तुति एवं जय-जय की ध्वनि के साथ ही जहाज, प्रस्थान करता। उद्योतन के पूर्व ज्ञाता-धर्म कथा तथा समराइच्च कहा के जलयात्रा-सम्बन्धी प्रसंगों में भी किसी स्थान पर इतनी सूक्षमता नहीं है।398 पीने के लिये जल एवं ईधन की व्यवस्था सभी वर्णनों में समान है। दसवीं-ग्यारहवी शताब्दी तक जल यात्रा के समय इन सभी वस्तुओं की व्यवस्था करनी पड़ती थी 399 ( 71 )
SR No.010266
Book TitleJain Katha Sahitya me Pratibimbit Dharmik Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Tiwari
PublisherIlahabad University
Publication Year1993
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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