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________________ ३न्द जैनकथा रत्नकोषनाग सातमो. गलराजा अत्यंत हर्षायमान थयो. कारण के पोते समर्मोपदेश लेवानी इजा करतो हतो, तेवामां तो श्रीस्वयंवर मुनिना पधारवाना समाचार सांजल्या ? हवे सुमंगलराजा, चार प्रकारना सैन्य सहित ते गुरुनी पासें श्राव्यो, अने तेमनी स्तुति करी नमस्कार करी योग्यस्थानपर वेठो. त्यारे केवली नगवाने धर्मोपदेश देवानो प्रारंन कस्यो, के हे नव्य लोको! अपार अने जयंकर एवा संसाररूप वनने विषे सिधिनी प्राप्तिने खता एवा प्राणीयोने गुरूमार्ग मलवो घणोज कुतन , अने कुपंथो तो घणाज ने के जे पंथोनेविषे मोह पामेला जीवो, बीचारा घणा मोहानिलाषी होय है, तो पण तेने ते मोदन मला उलटुं नयंकर एवं फुःख प्राप्त थाय बे. जुन. या संसाररूप वनमां देष रूप व्याघ्र , रागरूप उत्कट सिंह , मोह रूप राक्षस , क्रोधरूप दावानल मानरूप पर्वत , कपटरूप कुमार्ग जे, लोनरूप उंको कूवो . हवे ते संसारारण्यमां फरता एवा जीवो पूर्वोक्त ते कूवामां स्खलन थ६ पडी जाय . बली तेमां फरता प्राणीयो तृष्णा रूप तापथी तप्तथका विषयरूप विषदोनी नीचें ज्यां विश्राम लेवा बेसे ने, त्यां तो ते बिचारा ते विषय विषदनी बायाथी चैतन्य रहित थप जाय , वली तेमां फरता जीवोने धूर्तरूप कुगुरु कुमार्गमां लइ जाय , त्यां ते अज्ञ जीवो दिङ्मूढ जेवा थइ ज उर्गतिरूप गुहाने विपे पेसी जाय ३. तथा ते संसारवनमां पडेला प्राणीयो विघ्नरूप वांसडाउनी जालमा पज्या थका तरफडीयां खाइने त्यांने त्यांज मरण पामे . या प्रमाणे मूढ जीवो जे जे, ते आवा नवकांतारमा फरता थका दुःखी थाय ने, परंतु ते वननो को रीतें पार पामता नथी. ने माटे हे नव्यजनो ! संसाराटवी ना कुमार्गनो त्याग करी जेमां सावध धर्मनुं वर्जन ने, जेमां शत्रु मित्र वगेरे सर्वप्राणीयो समान , जे मार्गने केवलज्ञानी तीर्थकर जगवाने मोद मार्ग कह्यो , एवा ते शुद्ध अने सारा मार्गमां चालवा प्रवृत्त थान. जे शुरु मार्गमां चालवाथी तमोने परम निवार्णरूप नगर पण जलदी उपलब्ध थाय? प्रकारनी गुरुना मुखथी देशना सांजली सुमंगलराजायें विचास्युं के मारा मंत्रीना कहेवा प्रमाणे या धर्मोपदेश, संसारव्यवहारनो निषेध कारक ने माटे आ उपदेशज ग्रहण करवो. एम निश्चय करी ते केवलीने विनति कर कहेवा लाग्यो के हे नगवन् ! आपनां आ हाल कहेलां वच
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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