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________________ ३६६ जैनकथा रत्नकोष नाग सातमो. चारे जण मनुष्यमां न थावतां सौधर्मदेवलोकने विषे अवतस्या. कारण के पूर्वनवमां तेयें एक देश कऍत्रण पल्योपमनुं आयुष्य जोगव्युं हतुं. हवे त्यां सौधर्मदेवलोकमां कम एवा देवायुष्यने पूरूं जोगवी त्यांथी आवी, पुंद्रपुरने विषे महामल राजानी विलासवती स्त्रीने विषे तमो बेङ, पुत्रपणे अवतस्या बो, अने तमा पूर्वनवनी जे स्त्रीयो हती, ते मांथी एक स्त्री तो पप्रखंम पुरने विषे महसेन नामा राजानी सुल्न क्ष्मणा नामें पुत्रीपणे उत्पन्न थइ. अने बीजी स्त्री जे हती, ते विजयनामा नगरने विषे पद्मरथ नामा राजानी लक्ष्मणा एवे नामें पुत्री थर अवतरी. हवे प्रथम महसेन रजानी सुलक्षणा नामा जे कन्या हती, ते नाट लोकोना मुखथी तमारा गुणगणनुं वर्णन सांजली तमारामांज आसक्त थ, अने तेथी ते कन्याना पिता महसेनें तमारी साथेंजतेनो सबंध कस्यो, अने बीजी पद्मरथ राजानी लक्ष्मणा कन्या जे हती, ते पण नाटना मुखथकी तमारा नाश् शतबल राजाना गुणगणनुं वर्णन सांजली तेमांज पासक्त थ. तेथी तेना पितायें तेनो संबंध शतबल राजा साथे कस्यो. तमो अत्यंत परोपकारी होवाथी कोइएक सिमपुत्र एवा श्रीगुप्ते आवी तमारी प्रार्थना करीने कर्वा के, हे राजन् ! तमो जो मारा उत्तरसाधक थान, तो मारे एक विद्या साधवी . कह्यु बे के ॥ श्लोक ॥ मित्रा णि तानि विधुरेषु नवंति यानि, ते पंमिता जगति ये पुरुषांतरज्ञाः ॥ त्यागी स यः कृषधनोपि हि संविनागी, कार्य विना नवति यःस परोपकारी ॥१॥ ज्येष्ठः पुमर्थेषु सदैव धर्मो, धर्मे प्रष्टश्च परोपकारः ॥ करोति यश्चैनमनंततेजसा, सधर्मकर्मण्यखिलेऽधिकारी ॥ २ ॥ अर्थः-मित्र तेने कहेवो, के ज्यारें पोतानो मित्र पुःखमां आवे, त्यारे तेना फुःखमां नाग जले, पंमित तेने कहेवो के जे जगतमां पुरुषना हृदयमा रहेला अनिप्रायने जाणी शके ? दानशूर तेने कहवो, के जेनी पासें धन नथी तो पण दान दीधाज करे, अने परोपकारी तेने कहेवो के, जे पोताना स्वार्थ विना पण पार को उपकार करे॥१॥अने सर्व पुरुषार्थमां उत्तम पुरुषार्थ जे जैनधर्म पामवो, तेज , ते धर्मने विषे पण कोइ पण जीवनो उपकार करवो, ते उत्तम ले. ते माटे नथी थातो पराकमनो नाश जेनो एवोजे पुरुष, परोपकारने करे , ते पुरुष, अखिल धर्मकर्मने विषे अधिकारी थाय ॥॥श्रा प्रकारनां वचन श्री
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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