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________________ ३६० जैनकथा रत्नकोष नाग सातमो. लाग्यो के हे महाराज! आप जे हाल विचार करो बो, ते विचारमा मुने एम नासे , के आप केवली मुनिने या बेहु पुत्रना पूर्वनव पूबवाने श्लो बो, तो हे राजन! थापणाज गामना कुसुमाकर नामा उद्यानने विषे गुण रूप रत्नोना थाकर, जेनां दर्शने करी चक्षुने अत्यानंद उत्पन्न थाय, भने निर्मल एवा चारित्रगुणोथी अलंकृत, रूपवाला, शांतमूर्ति, सर्व इंडियोनो जेणें जय कस्यो जे एवा, शोनायमान, कनकसमान कांति वाला, अत्यंत निःस्टहवृत्तियुक्त, कुरुदेशना अधिपतिना पुत्र, श्रीजयनंदन नामा सूरी समवसख्या . या प्रकारना पुरोहितनां वचन सांजली हर्ष रूप पीयूष रसना आस्वादथी नलस्ति थयुं मन जेनुं, एवो ते श्रीबल राजा, पोतानी सर्वज्ञहि, तथा परिवारथी युक्त थको, ते जयनंदन नामा सूरीइने वांदवा माटे ते उद्यानमां गयो. त्यां जइ परिवार सहित ते मु निनु वंदन कयु. पनी सहु कोइ यथायोग्यस्थान पर बेठा. त्यारे ते सूरी सुधासमान पोतानी वाणीयें करी देशना देवानो प्रारंन कस्यो.ते जेम केः-- हे नव्यजनो ! था संसारने विषे गुनागुन एवां कर्मोयें करी जीव, उंच नीच कुलोने विषे अवतार लइ फस्याज करे जे ॥ यतः ॥ देवोनर यिको राजा, रंकोविज्ञान जडः पुनः॥ सुखी कुःखी नवेपी, कुरूपश्चित्रकर्म निः॥१॥ जंतुः कालस्वनावाद्यैह लिनिः कर्मराशिगः ॥ वृषबस्तु धा न्यार्थ, व्राम्यते नवकूपके ॥ २ ॥ यदार्जयत्यसौ पुण्य, मनुकंपादिहेतुनिः ॥ अत्यंतं स तदाऽऽप्नोति, स्वर्गश्रीप्रमुखं सुखम् ॥ ३ ॥ सदैव सेव्यते साधु, लिंगमासिगितव्रतः ॥ शांतोदांतोगतकोधोऽ,श्नुतेऽसौ मोदमदयम् ॥ ४ ॥ नाविर्नवंति यत्रैव, जन्ममृत्युजरादयः॥ शुई सैद्धांतिकं धर्म, कुरुध्वं नो बु धास्ततः ॥५॥ अर्थः-जीव जे , ते विचित्र एवा कोयें करी देव, नारकी, राजा, रांक, विद्वान, जड, सुरखी, उःखी, रूपवान, कुरूपवान्, एवो थाय डे ॥ १ ॥ वली कर्मरूपराशथी बंधायेला जीवने काल स्वनावादि रूप खेडुतो, धान्यने माटे बांधेला बेलना हालरानी पसें नवकूपनी फरतो वारं वार नमाज्या करे ने ॥ २ ॥ वली ए जीव, ज्यारें अनुकंपादिक हेतु यें करी पुण्य उपार्जन करे , त्यारे ते जीव, अभुत एवा स्वर्गश्रीप्रमुखना सुरखने प्राप्त थाय ने ॥ ३ ॥ वली ते जीव, जैनसाधुपणाना लिंगने धारण करी जैनशास्त्रोक्त साधुव्रतने अंगीकार करी, शांत, दांत, क्रोध रहित
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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