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________________ पृथ्वीचं अने गुणसागरनुं चरित्र. ३थए माताउने मव्या, अने नमन कयु, अने घणादिवस सुधी जुदा पडवाथी तेनी माताउने पुत्रवियोगजन्य जे उःख हतुं, ते सर्व अनेकवार्तायें करी नष्ट कमु. पली श्रीबल राजायें अवकाश जोश पोताना पुत्र गिरिसुंदरने पूज्यु के हे पराक्रमी पुत्र ! जे तुं थमने कह्या विना तत्काल थापणा गामनां कन्या प्रमुखने हरण करनारा उष्ट प्रबल चोरनो पराजय करवा गयो हतो, ते चोर तुने कये ठेकाणे हस्तगत थयो? तथा तेनो तें केवीरीतें नाश कस्यो? ते सर्व वात सविस्तर कहे. त्यारें गिरिसुंदर कुमार पोतें ज्यांथी निकटयो त्यांथी थारंजीने पोतानो लघु नाइ रत्नसार कुमार मल्यो, अने पाना बेदु याव्या, त्यां सुधीनुं सर्व वृत्तांत सविस्तर कहि आप्यु. ते आश्चर्यकारक सर्व वृत्तांत सांजली विस्मय पामेलो श्रीबलराजा कहेवा लाग्यो के हे पुत्र ! तारा सरखा पुण्यशाली प्राणीने तो त्रण लोकने विषे कोई पण वस्तु अनन्य होतीज नथी. कह्यु बे के ॥ श्लोक ॥ वने रणे शत्रु जलामिमध्ये, महार्णवे पर्वतमस्तके वा ॥ सुप्तं प्रमत्तं विषमस्थित वा,रदंति पुण्यानि पुरा कृतानि ॥१॥अर्थः-वनने विषे, रणने विषे,शत्रु, जल अने अनि तेना मध्यने विषे, महार्णवमां, पर्वतनामस्तकमां, सुतेला, प्रमत्त थयेला विषमस्थानमा रहेला पुरुषर्नु पूर्वजन्मने विषे करेला पुण्योज रक्षण करे रे ॥ १ ॥ एम कहिने त्यांबेठेला सह को देखे .तेम श्रीबल राजा वात करता करतां वि चारवा लाग्यो के अहो! प्रयासथी तथा बलथी पण न बने, तेवां उष्टचोर हनन प्रमुख कार्यो, या मारा गिरिसुंदर कुमारने विना प्रयासें स्वतः बनी श्राव्यां.तथा आ गिरिसुंदरकुमारने चातृपणाना स्नेहथी शोधवा निकलेला एवा रत्नसारकुमारने पए महेनत विना स्वतःज गांधारपुरना यदें प्र सन्न थने ते गामनो राजा करी ते उजड गाम वसावी आप्यु. माटें ए सर्व, ए बेहु नाश्योने पूर्वजन्मोपार्जित पुस्यना प्रनावथीज बन्युं छे, तेथी ए वेदु जण, पूर्वनवें ते कोण हशे ! ए सर्व मुने जो कोइ केवलझानी मले, तो कहुं ? या प्रमाणे गिरिसुंदर साथें वात करतां विचारमा पडी गयेला श्रीबल राजाने जो ते स्थलें बेठेलो एक मतिमान पुरोहित हतो, तेणें श्रीबल राजानी मुखमुझपरथी जाण्यु जे या श्रीबलराजा गिरिसुंदर तथा रत्नसारना पूर्वनवने पूडवा माटे केवलझानी मुनिने मलवा इले ने, अने तेनोज विचार करे ! एम जागी ते पुरोहित राजाने कहेवा
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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