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________________ ३४८ जैनकथा रत्नकोष नाग सातमो. खीरा, त्यारे मने पढी दुःखज नहिं रहे ? ना. एम पण नथी, कारण के छा लोकमां कदाचित्तुं सुख थाइश, तो पण यावा कुलहत्यारूप पापथी तारे पाहुं नवोजव दुःख वेठवुं पडशे ? कारण के प्राणीमात्रने गुनागुन कर्म जोगव्या विना बुटकोज नथी. माटे या राज्यना तु सुखमां यासक्त थइ तेज सुखने सत्य मानी मोहमद्यथी मोहित या यावा कुजहत्या, मनु यहत्या वगेरे पापथी जो व्याप्त थाइश, तो तारुं या जन्ममां के इतरजन्म मां को पण दिवसें सा थाशे नहिं ? माटे दयाथी अथवा मनुष्यहत्यानो पापजयथी, वा मने ज्येष्ठ जाई जाणवाथी, वा जगतमां थता अपवा दना जयथी, वा कोइ पण कारणथी जो तुं मुने जीवतो बोडी दश, तो नि तारुं या लोकमां ने परलोकमां सारूंज याशे ? हे अज्ञानी ! वली तारा मनमां तारे क्यारें एम पण नहिं जाणवुं जे हाल या मारा नाइने में मारवा माटे बांधी मगाव्यो, अने हवे जो तेने हुं जीवतो बोडुं, तो ते मारीपर व राखी कोइ पण रीतें मारो घाट घडावी नाखे, अने पाठो या राज्यनो धणी याय ? तो तेवो विचार तारे स्वप्नमां पण लाववो नहिं. कारण के हे जाइ ! जो तुं मने जीवतो बोडी दश, तो हुं प्रापणा पि तानी पेठें तापसी दीक्षा ग्रहण करी मारा जीवनुं सार्थक करीश ? अने सर्वथा या तारा राज्यमां के देशमां हुं रहीशज नहिं. एम घणी रीतें सम जाव्यो, तो पण ते पापासक्त प्राणीयें तेनुं काहिं पण मान्युं नहिं. तेम वी तेने विचाराने बंधनमुक्त पण कस्यो नहिं. त्यारें ते रतिचं राजायें वि चायुं के या पापीना हाथथी मरी ते अज्ञानीने जगतना चातृहत्याना अपवादमां नाखवो, ते करतां कोई पण रीतें पोतानी मेजेंज मरकुं, ते सारुं ? एम विचारी ते कीर्त्तिचंदने कहे बे, के:- हे प्रातः ! टलुं कहेतां पण तारामां स्वार्थीपणुं तथा अज्ञानपणुं होवाथी तुने तो याखा जगतमां छापणी सात पेढीने कलंक लागे एवं, तथा परनवने विषे अनेक दुःखदायक, एवा या मनुष्य हत्यारूप पापकर्मथी निवृत्त थावुं गमतुंज नथी, तो पण तुं मारो जाइ बो, तेथी मने तारी दया यावे बे, के अरे ! या बीचारानी मने मारवाथी याखा जगतमां घणीज अपकीर्त्ति थाशे तथा परलोकमां दुःखी याशे ? माटें हे जाइ ! हुं तुने जेम कहुं तेम तुं कर. के जो. एक काष्ठनी चिता कराव. तेमां हूं, तमें सह देखो तेम बली मरुं ? ग्राम करवाथी जगतमां
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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