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________________ पृथ्वीचंद ने गुणसागरनुं चरित्र. ३१ होय, तेज गुरू कहेवाय बे, बीजा गुरु ते गुरु नहिं. वली षनिकायनुं जेमां कायक, वाचक ने मानसिकरीतें रक्षण थाय बे, तेज धर्म कहेवाय बे, बीजो धर्म नहिं. परंतु हे माहाराज ! एक हुं आपने पूबुं बुं, के या प्रका रनो जगतमां उत्तम धर्म बे, ते बतां राजा लोको वगेरे केटलाएक जीवो, पाखंमी, ने हिंसक एवा देवने, तथा तेवाज देवने मानवाना उपदेश करनारा मिथ्यात्व गुरु प्रमुखने सेवन करें। पोताना आत्माने मिथ्याक्रियायें करी शामा क्वेश पाडे बे ? ते सांगली केवली भगवान कहे बे, के हे राजन् ! या जगतमां मनुष्यो जे ले, ते कोइ पण प्रकारनो व्यवसाय, कां पण फल प्रातिनी शायें करे बे, परंतु कोइ निरर्थक व्यवसाय करता नथी. जुने, मां केटलाएक चक्रवर्ती राजाने, कोइक माहामांगलिक राजाने, केटलाएक माधिपतिने, कोइक ग्रामाधिपतिने, कोइक क्षेत्राधिपने, कोइक धिक्कार पामेली जातिवालाने, कोइएक नटने, कोइ एक नटने, अने कोइएक नि कने पण सेवे बे. परंतु ते पूर्वोक्त चक्रवर्ती प्रमुख, पोत पोतानी शक्ति प्रमाणें तेने फल खापे ले, पण तेथी कांइ वधारे व्यापी शकता नथी. जेम को एक निखारी होय तेनी सेवा करी प्रसन्न करीने तेनी पासें कदाचित कोइ लक्ष सोनामोर मागे, तो ते बिचारो क्यांथी यापी शके ? तेम धर्म ने विषे पण मनुष्य, जेवा जेवा गुणवाला देव, गुरु, धर्मनुं खाराधन करे बे, तेने तेवां तेवां फलो ते देव, गुरु खने धर्म पे ते. वली जगत् मांशुं वन्युं बे ? तो के केटला एक पाखंमी लोकोयें पोतानो स्वार्थ पार पा डवा माटें पोताने सुख मजे, तेवां कपोलकल्पित असंगत शास्त्रो बना व ते शास्त्रांना उपदेशें करी जोला लोकोने धर्मना प्रपंचथी फसावेलां , ते फसाइ पडेला विवेकी लोकोनी बुद्धि, स्वेच्छाथी स्नान, पान, कंद मूलादिकनुं नक्षण, रात्रिभोजन, कन्यादान, कूप, तलाव, वाव्य प्रमुखनुं कराव, इत्यादिक शरीरसुखदायक बालकनी जीना समान धर्मने जा ने कठिन क्रियावाला जिनधर्मने विषे प्रीतियुक्त याती नथी. वली अतिप्रयासें पाली शकाय एवा पंच महाव्रतना नारने अंगीकार करवाने समर्थ एवा ते पाखी धूर्तजनो विषयानिलापने विषे लुब्धथका एक गृहस्थाश्रम धर्मनेज उत्तम धर्म कहे बे. वली ते मूर्खजनो, तलाव, कूवा, नदी, ज्यां वे नदीयोनो संगम था
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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