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________________ पृथ्वीचं अने गुणसागरनुं चरित्र. २४७ झान दर्शनना रदण माटे पोता पासे रहेनारा सुनटो पण सदाचारवाला, स मिति गुणयुक्त, दमा युक्त एवा ते जे डे, परंतु बीजा अन्यधर्मीने तो नथी. पड़ी मनोहर अश्व, तथा हस्तीनी उपर बेसवाने चतुर, प्रजा रद एमां प्रचुर, पुण्यमनोरथने धारण करनार, गुणशिदासक्त, दीनजनोने कुःखथी मुक्त करनार, सदा पोताना शासनने उद्योत करनार, पर शासनने वारनार, विविध पदार्थोनो संग्रह नरनार, अंतःपुरनो विचार राखनार एवो ते पूर्ण चंद, धर्मनाज संगें करी सर्व रिपुचक्रने वश करतो हवो. हवे पोतानी पुष्पसुंदरी स्त्रीनी साथें जोगने विपे नीति राखतां रा खतां केटलो एक काल व्यतीत थइ गयो, त्यारे तेने एक "वीरोत्तर" नामा पुत्र थयो, अने पड़ी तेने युवराजपदने विषे स्थापन कस्यो. पुष्पसुंदरी राणी पण सम्यक्त्वपूर्वक पांच अणुव्रतने धारण करती थकी शुद्ध जेनो नाव बे, एवी परम श्राविका थ. एक दिवस बाहिरना सर्व वृत्तांतना कहेनारा पुरुष पासेंथी पोताना पिता मुक्तियें गया, एवं सांनती, परम विषाद युक्त थइ ते पूर्णचंराजा नावना नाववा लाग्यो के, धन्य दे महानु नाव महारा पिताने के जेणे पोताना कोमल अंगें करी कुष्कर एवं कार्य साधी लीधुं ! महापापमां आसक्त, अल्पसत्त्व एवो दूं तो जराने प्राप्त थयो, तो पण विषयमांज लोलुप थइ रह्यो बूं. वली या दे हादिकने विषे अनित्यता जो बुं, तो पण हजीधर्ममांज प्रमाद करी बेसी रह्यो !आप्रमाणे विचार करतांप्रतिदिन सचिंतज रहे बे. एम एक दिवस, सचिंत थयेला ते पूर्णचंराजाने जोश पोतानी प्रिया पुष्पसुंदरी कहेवा लागी के हे नाथ ! न कामो खेद शामाटे करो बो ? तेवा खेद कस्याथी गुं वलवान ने ? माटे खेद बोडी कांक उद्यम करो. कारण के शोकने तो जे निःसत्त्व एवी स्त्रीयो होय , तेज करे . माटे शोक बोडी यो अने हवेथी ब्रह्मचर्यव्रत जावजीव पालो. ज्यां सुधीमां आलस्यविरहित एवा सुरसुंदरसूरि था हिं पान धारे, त्यां सुधी पूर्वोक्तरीतें आप वर्तो. अने ज्यारे ते गुरु पधा रे, त्यारे आपना जे मनोरथ होय, ते साधजो. आवा वचन सांगली पूर्ण चंड राजा कहेवा लाग्यो के हे प्रिये ! तुं घणी चतुर बो, कारण के मारा मनमा जे बाबतनो मुने क्वेश हतो, ते बाबत, तें सर्व कही देखाडी. ते ब दूज सारं कह्यु. एम ते पुष्पसुंदरीनी स्तुति करीने राज्यनी सर्व चिंता
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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