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________________ पृथ्वीचं अने गुणसागरनुं चरित्र. २०५ लवी लेगुं ? ते वचन सांजली एकदम ससंन्रम थइ धन्य कहेवा लाग्यो के अरे पापी ! आ तुं गं बोले ? अरे विचार तो कर, परजनने तर वार्नु केटलुं मोहोटुं पाप ? तें कडं एवं जो बोली, चितवन करिये, सांजलियें, तो पण पाप लागे, तो आपणे ते काम करिये, तो तो पाप नो पारज रहे शेनो? माटे हे धरण! तुं ते वाक्य हाल बोल्यो, तो तेना प्रायश्चित्तरूप देवगुरुनु स्मरण कर, के जेथी तुं ते वाचककर्मथी मुक्त था? तेवां वचन धन्यनां सांजली धरण विचारवा लाग्यो के आ कांड माझं कर्तुं करशे नहिं ? एम विचारी, तेने सारूं लगाडवा, उष्टवाक्य बो लवारूप पापने उपरथी खोटी रीतें आलोवतो थको कहे ,के हे व्रातः! आपनुं कहे, खरूं के अधर्मोपार्जित इव्य कांइ कामनुज नहिं. अने आ जे में पापवाक्यो आपनी पासें कह्यां, ते आपना चित्तनी परीक्षा माटेज कहेलां , परंतु आपणे परदेश जश्ने में कडं तेम करशुं नहिं, अने आपणे कोक धनवान, सेवन करीने घjक धन उपार्जन करशुं ? आवां धरणनां वचनथी धन्य विश्वास पाम्यो अने बेद जरो परदेश जवानो निश्चय कस्यो. ते पनी वेदु नाश्यो पोताना माता पिताने पूज्या विना बाना माना पा बली रातें नगरथी, एकदम बाहेर निकली गया.तेमार्गमां चालता चालतां नानो नाइजे पुष्ट धरण हतो, ते विचारवा लाग्यो के आमारा महोटा नाइ धन्यने युक्ति लमावीने में मांग माम नगर बाहार काढयो ,हवे वली जो पाडो जाशे, तो मारुं धारेलु काम पार पडशे नहिं? एम विचारी ते धन्य पाडो घेर न जाय, तेवो उपाय मनमां शोधि, धरण कहेवा लाग्यो के हे वां धव ! जन जे ,ते धर्मथी सुखी थाय ले के अधर्मथी? त्यारें धन्य बोल्यो के तेमां ते तें झुं पूब्यु? ते वात तो सदु मानेज जे, जे धर्मथी जय थाय ने अने अधर्मथी क्य थाय ले. तेम टुं पण मानुं बु? त्यारे धरण कहेवा लाग्यो के तमें जगतना पण बोलवा परथीज कहो बो, के धर्मथी जय अने पापथी क्य. परंतु तमारा मनमां तमें काहिं समजता नथी. जुन, हालमां जय तो पापथकी थतो देखाय डे,पण धर्मथी थतो तो क्यांहि देखातो नथी ? ए प्रमाणे बेहु नाइने ज्यारें परस्पर विवाद थयो, त्यारे धरण बोल्यो के हाल तमें चूप रहो, आगल एक गाम आवे , तेमां आपणे जश् तेनो निर्णय प्रबोयें, तेमां जेनो वाद मिथ्या ठरे, तेनुं एकलोचन फोडी नाखवू, एवी
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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