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________________ पृथ्वीचंद ने गुणसागरनुं चरित्र. १.६१ तांत मने सविस्तर कहो, ते सांजली बेदु महिला कहेंबा लागीयो के हे नाग्यशाली पुरुष ! मारुं वृत्तांत में जे कहीयें, ते सांजलो. गंगानदीयी उत्तर दिशामां नक नामनुं एक नगर बे, तेमां गंगादित्य नामा श्रेष्ठी से बे, तेनी वसुधारा नामा एक स्त्री बे, तेने खाउ पुत्रो वे, तेनी उपर मो जया ने विजया नामनी वे कन्या थयेलीयो तैयें, हाल यौ वनावस्थाने प्राप्त थेयो बैयें. हवे ते गंगानदीना कांठा उपर नयानने विषे क्रियावान्, शौचधर्मतत्पर, पुराणव्याख्यानने वांचनार, वैदिक ने ज्योतिषनिमित्तने पण जाणनार, देखवामां सरल ने अंतःकरणमां क्रूरपरिणामी शर्मक नामनो कोइएक परिव्राजक रहेतो हतो, तेने मारा पितायें गुरुनावथी नोजन करवा माटे घेर बोलायो, ने घणाज मानयी स्वस्थ श्रासनपर वेसारखो. त्यार पीतेने मारा पितायें शाल, दाल वगेरे उत्तम नोजन, एक थालीमां पीरस्यां, त्यारे ते जमवा लाग्यो. ते वखत यमो बेदु बेनो गुरुनावथी तेने पंखाथी पवन नाखवा लागी. तेवामां तो तेने यमारुं वेदुजलीयोनुं प्रति रमणीय रूप जोतां अंगमां यनंग उत्पन्न थयो, तेथी या थयो थको प्रशन ध्यान बोडी चित्तमां चिंतववा लाग्यो के अरे ! रंजा नामक अप्सरा सरखी या वे स्त्रीयोथी में जोग न जोगव्या, तो मारुं तपथी पण शुं वलवानुं बे ? अनें क्रियाथी पण गुं बलवानुं वे ? जाजुं गुं कहुं, परंतु तेउनी सार्थे जोग जोगव्या विना मारुं जे जीवित बे, ते वृथाज बे ? वली पण विचारवा लाग्यो जे संसा रमां वस्तुतः सार जो जोइयें, तो तो सारंगपदी समान लोचनवाली लल नाज बे ॥ यतः ॥ प्रियादर्शनमेवास्तु, किमन्यैर्दर्शनांतरैः ॥ प्रार्य्यते येन नि र्वाणः, सरागेणापि चक्षुषा ॥ १॥ कीरसागर कल्लोल, लोललोचनयाऽनया । सारोऽपि च संसारः, सारवानिव लक्ष्यते ॥ २॥ अर्थः- मने तो प्राणथी वाहाली एवी स्त्रीनं दर्शनज हो. कारण के बीजाउना दर्शनथी गुं वलवानुं बे ? जेना दर्शनथी निर्वाण पण सराग चतुथी याचना थाय बे ॥ १ ॥ दीर सागरना कल्लोल समान चपल नेत्रवाली या स्त्रीयोथी प्रसार एवो पल संसार, सारनूत जेवो देखाय बे. वली पण ते विचारवा लाग्यो के एक ढुंज या स्त्रीयोथी दोन पाम्यो बुं, एम नथी, परंतु ब्रह्मा जे हता, ते पण अप्स यी दोन पाम्या बे ने गौरी तथा गंगाथी माहादेव मन्मथवश थया " २१
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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