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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. यूए नेत्र लोकने विषे उत्कृष्ट तीर्थ जे श्री सिद्धाचलजी जेनो अनंत म हिमा बे, जे नित्य बे, तेनो सर्वांगें करीने जेम विधि कह्यो बे, तेवा विधि सहित सर्व शरीरनी समर्थाइयें करीने ते तीर्थसेवा करतो त्रिकाल परमेश्वरनी पूजा करतो, चैत्यनी आशातना टालतो, पोताना जन्मने सफल करतो हवो. हवे विजय राजा अन्यदा संध्या समयें सुस्थिर श्रात्मायें परमेश्वरनी महो। पूजा करीने अद्भुत एवी सम्यग्दर्शन नामे जावना जावतो हवो. हो परमेश्वर ! तमें सुखें सधाय एवो बोधिधर्म कह्यो. जेना बलयकी तप, दान, क्रियादि कष्टकस्याविना पण संसारनो पार पामीयें, तिहां सर्व दोष रहित परमात्मा देव, सर्व श्राचारवंत एवा गुरु, सर्वज्ञ नापित धर्म, ए जैनमत उपरांत कोई अन्य धर्म ने नहिं. ए व्यवहारथी देव, गुरु तथा धर्म जाणवो. एवी रीतें विजय राजा जावना जावतो यात्मस्वरूपनुं चिंतवन करतो परमात्मपणुं ध्याववुं, जे ए यात्माज शुद्ध देव बे ने परम था चारवंत जे जावात्मा तेज गुरु बे. तथा यात्माना शुद्ध परिणामरूप ते नावधर्म जाणवो. एवी रीतें निश्वयथी देव, गुरु ने धर्मनी नावना जाववाना एकाय विशुध्यानें करीने मोह चढवानी निःश्रेणी एवी पक श्रेणियें चढ्यो. अहो ! जीवनी शक्ति केवी बे ? जून के ते वेला एतिहां रात्रि बे, तो पण राजाने अंधकारना समूहना नाशनुं करनार ए वा केवलज्ञानरूप सूर्यनो उदय थयो, जे वस्तु कष्टें नीपजे, ते कष्ट विना प्राप्त rs. पिता करतां पण पुत्र अधिक थयो, जेमाटे गृहस्थ बतां पण के वलज्ञान पाम्यो. एटले कोइ चारित्र लइ अत्यंत तप किया प्रमुख करे, तो पण केवलज्ञान, कष्टें पामे. ते चारित्रियो तो गृहस्थना पिता तुल्य बे ने पुत्र गृहस्थपणेज केवलज्ञान उपन्युं. ए मोटुं श्राश्वर्य ? ते राजऋषिने दे वतायें वेश खाप्यो, देवतायें पूजा करी, उत्सव कस्बो हवे विजय राजऋषि पोतानी त्रण स्त्री तथा पोतानो जाइ जयराजा ने वे पुत्र ते सर्वने प्रति बोधी शीघ्र दीक्षा लेवरावतो वो घणा कालसूधी पृथ्वीउपर विचरी ला ख वर्षनुं यायुष्य पाली, पोताना सर्व परिवार संघातें मोछें पहोतो. य हो ! जुन रूडा समकितनुं फल ! ॥ यतः ॥ याराधने च दृढता विषये फल स्य, प्राप्तावपीति विजयस्य जयस्य चोच्चैः ॥ श्रुत्वा सुदर्शन निदर्शनमद्भुतं नो, नव्याः सुदर्शनविधौ विधिवद्यतध्वं ॥ १ ॥ नावार्थ:- ए समकेतना या
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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