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________________ Ե जैनकथा रत्नकोप नाग चोथो. पाम्यो नहीं. वली स्त्री तथा पुत्रने पण तें धर्मने अर्थे तृण तुल्य गण्यां.बी जो कोई होय तो स्त्री पुत्रने अर्थे माठां कर्म आचरण करे, पण तें ताह रा व्रतने विषे किंचिन्मात्र पण अतिचार लगाज्यो नहीं. माटें धन्य ने त हारा परिणामने ! तथा वली में तुमने वजानि सरखी वेदना करी ते वेदना तो तुंज सहे, बीजं कोण सहन करे ? हे राजन् ! हुँ तुमने चलावी शक्यो नहीं, तो बीजो कोण तुमने चलावी शकवा समर्थ थाय ? में मातुं कयुं. हुँ माहा उश्चेष्टित अमर्षे करी नस्यो . तुं अमर्ष रहित बो. जे महोटा पुरुषों ने, ते सर्व सहन करे , तेमने अवगुण ते साहामा गुणरूप थाय बे, माटे हे राजन् ! हुं तारो अपराधी . हवे मुझने किंकर जाणीने कां श्क कार्य कहे, जे हुँ तत्काल आज्ञाकारी थको करूं. राजा बोल्यो जेथकी सर्व वांनितार्थ सिह थाय, एवो कल्पवृद सरखो जे जैनधर्म, ते महारा हृदयने विषे अत्यंत स्थिरपणे रह्यो , तेने मूकीने गुं माणू? तथा ए उपर बीजी वस्तु शी ने ? जें तमें मुझने पशो ? मा टें जो तमें मुखथी बोल्या बो, तो ढुं कटुं बुं ते मने आपो. तेवारे तेणें क झुं के झुं था ? तेने रे राजायें कह्यु के तमो मिथ्यात्वने बांझीने समकित ने बादरो जेथकी तमारुं देवतापपुं सार्थक थाय ! ए मा{ जे. ते देवता, राजानुं एवं वचन सांजली समकित अंगीकार करी, हर्ष धरतो राजाने प गे लागी, आझा मागी पोताने स्थानकें गयो. ए रीतें विजय राजा समकि तने विपे दृढ थयो थको घणा कालपर्यंत राज्य जोगवतो हवो. हवे एक दिवस राजा एवं चिंतवे जे जे धिक्कार छे मुऊन के जेमात्रै हुँ याजसुधी पांगलानी पेठे चारित्र लेवाने उजमाल थतो नथी. तो तेविना मने मोद क्याथी मल? तथापि श्रदा जे समकेतनी शुद्धि ते जो करूं, तो मुझने तेथी चारित्र सुलन थाय, अने ए सम्यग्दर्शनथी मुझने केवल दर्शननो संनव थाय, तेमाटें उजमाल थश्ने सम्यगदर्शनने आराधुं ! एवं ध्यायीने राजा उजमाल थको देव, गुरु, धर्मना ध्यानने विषे एक ध्या न, एक तान, एकाग्रचित्त थयो थको समकेतर्नु नूषण जे तीर्थसेवा ते क रवाना हेतुयें राजा पोताना ज्येष्ठ पुत्रने राजपाटें स्थापीने श्रीसिक्षाचल जीनी यात्रा करवाने अर्थे जतो हवो, गढ जीतवाने अर्थे जेम को निक ले तेम मोह वैरीना गढने जीतवानी रखा करतो एवो राजा मोतिदि
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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