________________ गुरु शिष्य प्रश्नोत्तर बत्रीशी. 361 अथ गुरुये शिष्यने पूजेला प्रश्नोत्तर. // दोहा // पान सडे घोडो अडे, विद्या विसरी जाय ॥अंगारे रोटी जले, कदु चेला कुण गाय // 1 // गुरुजी फेरी नहीं // मोटूं मोती मूल कम, सरवर पीठ न थाय // रावत नागे राडमें, कहु चेला कुण गय // // गुरुजी पाणी नहीं // सरवर फूटुं जल गयुं, परजा रूठी जाय // लियो शाक अमथो रह्यो, कटु चैला कुण ठाय // 3 // गुरुजी पाल नहीं / उना त्राठी थरहरे, चरखे रुत न थाय // महिषी दूधे उतरे, कदु चेला कुण नाय॥४॥ गुरुजी चारी नहीं॥ पाक सांखि नूखें मरे, नेंस गइ बटकाय // लखतां उल वांकी लखी, कटु चेला कुण नाय // 5 // गुरुजी पामी नहीं // घोडो घोडि न हथी, चोर ढंढोल्या जाय // आइ कामणि फरगइ, कदु चेला कुण गाय // 6 // गुरुजी जाग्यो नहीं // घोडे घास न बोटि यो, चाकर रूठो जाय // बते पलंग इंसूए, कदु चेला कुण गय // 7 // गुरुजी पायो नहीं // कहीं धूयो न नीसरे, म्होला वाय न जाय // तीरा मन्बी वह गइ, कटु चेला कुण गय // 7 // गुरुजी जाली नहीं // कापो तूटे बल घटे, खीचड लूरवो खाय // कामण नेह वधे नहीं, कद चेला कुण नाय // ए // गुरुंजी चोपड नहीं // एकांतरे दल वहे, पग अलवा पो जाय // ढाढी गावे एकलो, कद चेला कुण ठाय // 10 // गुरुजी जोडी नहीं // घेरथकी घोडी गइ, गश्यण दोश् गाय॥ नारी शणगार सज्यो नहीं, कहु चेला कुण गाय // 11 // गुरुजी वाली नहीं // वपियो पियु पियु क रि रडे, खेती सूकी जाय // पाल पंथि पालो फिरे, कदु चेला कुण गय // 12 // गुरुजी पाणी नहीं // घर आएयो लूटो पशु, वात दुवे विकथा य // त्रिय मस्तक लूटे फिरे, कदु चेला कुण नाय // 13 // गुरुजी बांध्या नहीं // राजा राज विणस्सिन, दीवे तेज न थाय // मोनी बेग सासग्यो, कदु चेला कुण ठाय // 14 // गुरुजी दीवेल नहीं // मूकी वस्तु जडे नहीं, चोटऊ नूली जाय // लिखतां खोलूं लिख गयो, कदु चेला कुण नाय / // 15 // गुरुजी सुरत नहीं // घर आयो सऊन गयो, घोडे शेड न था य // गाडि बंध ढीला पड्या, कदु चेला कुण गय // 16 // गुरुजी ता एयो नहीं // महल नला शोने नहीं, गामज खावा धाय // हाट श्रेणि