________________ 460 जेनस्थात्रकोप नाग चोयो // अथ नोकरवालीनी सद्या // ढाल // एक नारी रे धर्मतणे धूरे जाणीयें, तस महिमा ने मनरंगें व खाणीयें। तेह नारी रे आपणडे मन आणीयें, षटदरशने रे तेह पण सघले मानीये // 1 // चलि ॥मानीये पण नारी रूडी,नही कूडी ते वली // करकमल कीजें काज सीजें, ध्यान धरीयें मनरुली // // त्रिनुवन्न मो हे रूप शोहे, देव दानव कर चंडी॥ नोकरवाली मुहपतीने, आदि पुरु आदरी // 3 // ढाल // जिनशासने रे नोकरवाली सदु मुणे, परशासने रे जपमाली कही सवि गणे॥ तुरकाणे रे तसबीर बोले मनरुती, अद माला रे नाम कहीयें चोथु वली // 4 // चाल / नाम लीजे काज सीजे, लोक बजे अतियणो // दरिसण दी। फुःख नीते. पाप जाये नवनणो / 5 // हरि दर पुरंदर सकल मुनिवर, हाथे रूडी दीसए // नोकरवाली हाथ लेता, देव दाणव तूसए // 6 // ढाल // एक शोहे रे मूरति मोहन वे लडी, शोहामणी रे चतुरपणे ते गुण चडी / / दोय चनपन्न रे मली करे धोतरी, ध्यानधरी रे तरीयें नवसायर वली // // चाल // संसार तरीयें ध्यान धरीयें, तरी नवसायर वली, नोकरवाली ध्यान धरतां, घु क्ति पामें केवली // सवि आस पूरी कर्मचूरी, सहेजें शोहे मनरुली // क हे कवियण सुणो लोको, आराधो एकमन वली // 7 // इति नोकरवाली. नास समाप्तः // // अथ प्रस्ताविक सुनाषित दोहा // सुणो वात सुविचार, एकमें अचरिज दीठी, नारी सात दस खडी, पुरुष त्रण चारे बैठी // नारि न बोले चार, चार चिहुँ चरणे दिति, एकण ऊपर आइ, नारी नवसत्त बश्ती, तिणकन्हे ले चार नर चिहुँदिसें, तिन्हि पुरुष कर कर फिरे, कहो अरथ सत्तर नारी,अनें सात पुरुष रामत करे // 1 // __कुसुमें मीठो अन्न, उदक मीठो ऊन्हाले, मीठो चूण रसोइ, वस्त्र मी ठो सीयाले // मीठो प्रेम पियार, वात मीठी अगदीठी, मीठी दूधनी वा त, माहमीठी अंगीठी // मीठी जह गरज दुये, मीठो रस तंतीतणो॥ कवि गद्द कहे कन्हसिगलाह, सुत संगम मीठो घणो // 2 // . .