SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 424
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४१२ जैनकथा रत्नकोष नाग चोथो. Rafa नंद उपजे हे श्रार्य ! विशेष कामकाज लखजो मेंपण ही तमारा, अतित समृद्धि मलवाविषे समाचार सांजव्या बे २‍ घादिवस थया तहारा विरहरूप महादुःसह एवा पुर्निषी अर्थात् 5 कालथी दुःख एवा में 'तेने तारा कुशलपत्र रूप अमृतना शीरामणनुं सुख हमi aurat ani नथी माटे ते खापवा हृदय सदय राख घटेले. केमके द्वारा अंगसंगमना सुखरूप प्रिय इष्टज़ोजन सारं यमे सघलां श्रति शें प्रातुरबिये माटे ते सिद्ध थाय एवा उपायनी योजना तुं उतावलयी कस्य तो सारं अर्थात् तने मलवाना सुखरूप इवानोजन सारं यमे प्रति तलखिये लिये माटे जेम तरत मलवानुं सुख सिद्ध थाय तेम करीश. एम पत्रना समाचार वांचवाथकी गुणाकरनुं मन काइक प्रेमेंकरी या ई जेवामां ययुं तेवामां पत्रमां श्रागत ते गुणाकरें अन्योक्ति तरफ जांयुं ते अन्योक्ति याप्रमाणे :- गांगेयगेयगरिमा दिगुणाष्टकाढ्यो, विश्वेकचूपण वि दूपणसौख्य हेतौ ॥ सन्मानितोऽन्यजनतां जनितुर्न जातु मातुः स्मरस्यपि चिरात्किमु तत्तवाद || गांगेय जेवाये अर्थात् जीष्म पितामह, सरखायें जेना गरिमा प्रमुख अर्थात् गौरवच्यादि यावगुणाने गायेला बे एवाष्टगुणथी युक्त स्त्रियोना अथवा गंगाजलनी पेठे गावायोग्य पवित्रतावाला गौरवप्रादि श्रावगुणयुक्त स्त्रियोनां सुख के जे व्याविश्वमां विशेष नृपण ने विशेष दूषण रूप ने ते सुखना हेतुनेविषे वीजा जनसमूहने मतलब श्वगुरादि कने सन्मान पतो एवो तु क्यारे पण घणा दिवस ययां पिता माताने स्मरण करतो नथी ते शुं तमने योग्य बे. पती अंतःपुरमा जइ यावस्त्रि योने ते लेख संजलावी पाठो लेख लखी चरपुरुषने यापी तेने विदाय करी श्वसुरादिकनी रजा लइ श्राव कन्यादि सर्व परिवार संघातें श्रीपुरन गरथ निकल्यो मार्गमां गामगामप्रत्यें लक्ष्मीनो लाहो लेतां दान पुण्य क रतां गम गम चमत्कार पमाडतां त्र्वविन्न प्रयाणें चालतां थोडेक दि वसें जयस्थलनगर याव्या तेवारें मातापितादिक सर्व कुटुंबे मली महाम होत्सवें करी नगरमा पधराव्यां, राजाथी मांमी गोवाल प्रमुख बालगोपाल सर्व गुणाकरना तुल्यपुष्यनी प्रशंसा करता हवा. एवीरीते गुणाकर पो ताना जाम्यनी ऋदिनी परीक्षा पोते मनोवांबित अर्थलानथकी करीने
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy