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________________ २७४ जैनकथा रत्नकोष नाग चोथो. दतो? तेवारें तेणे कमु के दा हतो. एम कहीने ते धूर्ते कोइएकने कांक लोन देखाडी, तेने साचो सादी बोले, तेवू शीखवीने जूतो सादी उनो करीने तेडी लाव्यो. तेने जोड्ने पहेला वणिकने कांश नपाय नहि जडवा थी खेद पामतो ते कुमित्रने तथा जूतासादीने अने पोतानी स्त्रीने साथै लश्ने नजटिकना गाममां एक घणो बुद्धिवंत अने न्याय करवामां अतिनि पुण एवो कोई पुरुप हतो, तेनी पासें न्याय कराववा गयो. त्यां जतां कोई ये खबर आपी के ते न्याय करनार तो परलोक गयो ने तेमना बोकरा जे.ते सांजली तेने घेर जाघरमांजोवा लाग्यो,तो ते न्याय करनारना बोकरा ने तेनी मातायें जमवा बेसाड्यो ने, ने नाणामां उनी उनी राब पिरसी ने, पण बोकरो घी मागवाने मिशे जमवाने विलंब करतो हतो ने विचारतो हतो के जो माहरी माता घी यापशे, तो नीक, नहिंका पनी ए राबडीज उपाडीने ढुंपी जश्श ? एवी ते बालकनी बुद्धिजाणी विस्मय पामी तेवणि के तेनी पासें पोतानुं सर्व वृत्तांत कयुं. त्यारे तेणे चारेने जूदा ज़दा बोला वी पूब्युं. पली ते वणिकने कडं जे ताहरा रत्न जेवो कणकनो नमुनो क रीने लाव, ते प्रमाणे बीजाने पण नमुनो करवानुं कर्तुं तेथी बन्ने जण नमुनो करी लाव्या अने वणिकनी स्त्रीयें कडं जे में तो ते रत्न दीतुंज नयी तो नमुनो क्याथी बनावी शकुं ? वली जुती सादी आपनारे कडं के मुने ते रत्नोनो आकार सारी पेठे सांचरतो नथी, पण रत्न बहु मूल्यवानुं हतुं, तेमज घणुं रूडं हतुं, कांति सारी हती. तो पण न्याय करनारे तो कह्यु के तुं पण जेवू जोयुं होय, तेवो तेनो नमुनो करी लाव. ते चारेमाथी जूतो सा दी जे हतो तेनाथी ते रत्ननो बरोबर नमुनो थइ शक्यो नहिं. तेथी तेनुं कूड प्रगट थयुं, ने ते रत्न ते वणिकने तेना मित्र पासेंथी पालूं अपायुं. हवे ते न्याय करनार, उमरेतो बालक , पण बुद्धिमां कांई बालक नथी, जुवो बुझिये कयुं कार्य सिम न थाय ? सर्वे कां थायज. . एहवी वात सांजली सोमदेव शेठे पण माही गणिकाने, तेमज ते बुद्धि मान न्यायना करनारने पूजवाथी पण का कार्य सयुं नहिं,त्यारें तेणे नि श्चय कस्यो जे मारा अनाग्यना योगथी रत्न गयां, तेमज मार्गमां पण दुखू टाणो तेथी निराश थश्घेला सरिखो बनवानुं विचारी घेलो बनी,जेम तेम लवतो राज दरबारें गयो. त्यां दैवयोगथी राजानी नजरें पड्यो,तेवारेंराजायें
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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