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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. १५१ तेवा राजायें कहां के या महारो घोडो तमें पकड़ो, ढूं तरतज तेने केशें प कडीने जगतनुं शल्य का. एम कही तेने घोडो यापी राजा बागल गयो. हवे ते धूतारो घोडे चडीने नगरमा पेठो ने पोलीयाने कलेवा लाग्यो के में चोरने यो बे, माटे हवे दरवाजा बंध कर, बीजो कोइ यावे, तो उ घाडी मां. कारण के या मारो पक्षपातियो बीजो राजा मारी जेवोज बे, माटे तेने धाववा दश नहिं. ते वात सांगली पोलियो सत्य करी मा तो वो धूर्त्तने वृत्तांतें ते राजा धृताणो थको पोले श्रावीनें पोलीयानें कहे के परे दवन ! पोल नघाड. हुं राजा बुं, ते सांगली पोली ये कयुं के, राजा तो हमणां घोडे चडी नगरमां गया, ने तुं राजा नथी पण अ न्य बो. एटले धूतारो बोल्यो के दरवाजा उघाडीश मां ? बहार अन्यधूर्त बे, तेज, एट विलखे चित्तें ते राजा मनमां विचार करवा लाग्यो के ए कोक धूर्त्तमां पण महाधूर्त्त बे, जेणे मुक्त सरखाने पण धूत्यो, माटे एहनुं च रित्र चिंता योग्य बे, विधातानी पेठें लोकने विषे जयपताका निश्चय एवरी. कोइ न जाणे, तेम एहनी प्रशंसा करूं, तो मुकने नगरमा प्रवेश करवा थापे. एवं विचारीने ते राजा धूर्त्तने कहेवा लाग्यो के हे धूर्त ! त हारुं चरित्र उत्तम बे, ने तहारी कला घणी प्रशंसवा योग्य बे, तेणे करीने ढुं तहारा उपर तुष्टमान थयो बुं, माटे तहारे जे वर मागवो होय, ते मा ग. तेवा ते धूर्त्त बोल्यो हे राजन् ! जो तुं वर थाप तो हो तो मुज्ने अन यदान व्याप. तेवारें राजायें प्रमाण कयुं माह्यो माणस पोतानुं बोल्युं पाले. ते धूर्ते पोतापणुं प्रगट करीने द्वार उघडाव्यां ने पोतें राजाने सामो पगे पड्यो. राजायें पण धूर्त्तने वांसे हाथ फेरव्यो, ने तेने प्रशं स्यो. धूर्त्त पोतानो नवो अवतार मानवा लाग्यो, ने राजाने कहेवा लाग्यो के स्वामि ! तमे महोटो प्रसाद कस्यो, महोटानां वचन अन्यथा केम थाय ? हवे धूतारो राजाना प्रसादथी निःशंक चित्त थको सांदनी पेरे मदोन्म ताथी स्वेवायें नगरमां जमतो थको विलास करतो. लोकोने पोतानी क लानो समूह देखाडी हर्ष उपजावतो विचरतो हवो. एकदा ते धूर्त्त, सुखीयो यको विचारखा लाग्यो के इहां तो माहरूं धू पणुं चालतुं नथी, कारण के हुं समां जालीतो थयो बुं, माटे हवे या नगर बोडीने बीजे ठेकाणे जानं तो ठीक. एम विचारी चोरनी पेरें
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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