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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सदित. १३ए कहे, तेमज वली जे कन्या शीलवती होय व्यनिचारणी न होय तेने सुशीला कहे अने जे उःशीला होय तेने सुशीला कहे, ते सर्व कन्यालीक जाणवं. ___२ बीजुं गवालिक ते जे गाय थोडं दूध करती होय तेने रागें करीने कहे के ए घणुं दूध करे , अने जे घणुं दूध करती होय तेने हेपें करीने कहे, के ए थोडं दूध करे , इत्यादिक जूतुं बोलq ते गवालिक जाणवं. ३ त्रीजुं नौम्यलीक ते जे पोतानी नूमिका होय तेने रागथी पारकी कहे अने पारकी नूमिका होय तेने औषयी पोतानी कहें तथा जे उखर नूमि दोय तेने रागथी उत्तम खेत्र कहे अने जे उत्तम क्षेत्र होय तेने हे पथी उखर नूमि कहे.इत्यादिक जूतुं वोलवाने नूमि संबंधि अलीक कहियें. ए उलखाववा माटें कह्यां, परंतु उपलदणथी कन्यालीक, गवालीक, नू म्यातिकनी पेरें सघलाए हिपदालीक चतुष्पदालीक पण वङवां. कहेलुं में यतः॥ कन्ना गहणं उपयाणं,सूयगं चनप्पयाण गोवयणं ॥ अपयाणं दवाणं, सवाणं नूमिवयणं तु ॥ १ ॥ नावार्थः- कन्यालीक पदे सर्वे पिदनुं अ लीक जाणवू, अने गवालीक पर्ने सर्व चतुष्पद गाय घोडादिकनु अलीक जाणवू, तथा अपदें करीनूमि, इव्य एटले धन प्रमुख इत्यादिक संघला ए पद जाणवां ॥१॥ इहां आशंका करे , के जो तमे एम कहो हो तो पिद, चतुष्पद अने अपद ए त्रणना ग्रहणथकीज सर्व संग्रह केम न कस्यो? के जे माटें ए त्रणमां सर्व आव्युं ? हवे इहां गुरु उत्तर कहे जे. जे तमें कहो बो ते सत्य पण कन्या लीक आदें देने लोकने विषे अत्यंत निंदनीय जे तेथी तेने विशेपें वा माटें जूदां जूदां करी कह्यां . वली कन्यालीकादिकथकी नोगांतराया दिक अनेक प्रकारना रागषादिकनी वृद्धि प्रमुख दोष प्रगट थाय बे. ४ हवे पारकी थापण उलववी ते पण महापातकनी हेतु . ते महा पापी विश्वासघातनो करनार के कारण के ए वात वे जज जाणे त्रीजुं कोई जाणे नहीं जेमाटे बिचारो थापण मूकनारोधणी ते एम जाणे जे म हारो ए अंतरनो परमवलन , एम धारीने कोश्नी सादी विना पण पो तानुं धनधान्य, तेने घेर मूके, पनी ते राखनार धणी महालोनें पराजव्यो थको विश्वासघात करीने उत्सवी नाखे, तो एना जेवो बीजो कोइ उष्ट पा पिष्ट समजवोज नहीं. इहां जो पण ए थापणमोसो जे जे ते अदत्तादा
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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