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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. १ गोचर न आवे, ते जीवोने वधनो अनाव , ते कांs कोइना मास्या मर ता नथी परंतु पोतानी मेलेंज आयुना ये मरण पामे डे. यहां साधुने तो बेहु प्रकारना वधथकी निवर्तवं कर्तुं जे. एणे त्रस अने स्थावर बेदुनी हिंसा टाली ,तेथी साधुने तो वीश विश्वानी दया जा रावी. अने गृहस्थने तो स्थूल बेंझ्यिादिक जीवोना वधथकी निवृत्त कहे लुंजे, पण सूक्ष्मना वधयकी निवृत्त कर्तुं नथी कारण के तेनी पृथ्वी ज लादिकना आरंजने विषे निरंतर प्रवर्त्तना ले, तेना आरंजथी टलq बनतुं नथी माटे वीशमांथी अर्श दश विश्वा गया, बाकी दश विश्वानी दया रही. हवे बे इंडियादिक जीवोनो वध पण वे प्रकारें . एक संकल्पथकी अने बीजो आरंनथकी. तेमां आ अमुक जीवने ढुं माझं! एवो जे मनमां संकल्प नपजे, ते संकल्पथकी श्रावक टल्या ,पण आरंजयकी टल्या नथी. जेमाटे कपिादिक आरंनने विपे बेझ्यिादिक जीवने हणवानो संनव थाय ने, जो ते न करे, तो शरीर कुटुंबादिकनो निर्वाह थाय नहीं, एम करवाथी फरी दशमांथी अर्दा गया बाकी पांच विश्वा दयाना रह्या. हवे संकल्पथी उपनी जे हिंसा तेना बे जेद में. एक सापराध ते अपरा धसहित अने बीजी निरपराध ते अपराध रहित. तेमां गृहस्थ निरपराधी जीवनी हिंसाथी तो टल्यो ,अने सापराधने विषे तो न्हाना महोटा अ पराधनो विचार करीने पढ़ी जे शिदाकरवा योग्य होय ते करे माटे पां चमांथी अडधा गया, बाकी अढी विश्वा दया रही. . हवे निरपराधी जीवनो वध बे प्रकारें . एक अपेक्षा सहित अने बी जो अपेक्षा रहित तेमां निरपेदाथकी तो श्रावक निवर्त्या , पण अ पेदा सहितयकी निवर्त्या नथी, केम के चालतां हालतां जीवनी हिंसा थाय ने, तथा पाडा, वृषन अश्वादिकने चाबका प्रमुखनो मार मारे डे, तेमज प्रमादि पुत्रादिकने पाठ जणाववा माटे शिखामण आपवी पडे बे. एम अपेदा सहितने विषे वधबंधादिक कराय, ए गृहस्थनो व्यवहार . तेवारें वली अढीमांथी अई गया, बाकी सवा विश्वानी दया श्रावकने रही ते पण आनंद कामदेव सरखा शुक्ष श्रावकने सवा विश्वानी दया रही. एवा श्रावकने प्रायः प्रथम अणुव्रत होय ते प्रथमव्रत, सकलव्रतमाहे सारनूत , ए पहेला व्रतने विषे जे स्वरूप कह्यु, ते स्यून महोटा जीव
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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