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श्री मोदविवेकनो रास.
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लोल, नूकंप तारापात रे || रा० ॥ शोणित बिन्दु श्राकाशथी रे लोल, वू वान वारु वातरे ॥ रा० ॥ क० ॥ २ ॥ तिए अवसर किए याखीयो रे लोल, आयो मोह कुमार रे ॥ रा० ॥ राजा प्रजा सहु शंकिया रे लोल, मा असुर अपार रे || रा० ॥ क० ॥ ३ ॥ मंत्रीगुं नृप चिंतवे रे लोल, की जें गुंजु रे || रा० ॥ जीतहवा जो दुजीयें रे लोल, तो कीजें ए गु ऊ रे ॥ रा० ॥ क० ॥ ४ ॥ मंत्री कहे सुण साहिबा रे लोल, गुरुनुं वच नाम रे ॥ ० ॥ संयम स्त्री परण्या विना रे लोल, कोइ न होवे का मरे ॥ ० ॥ ० ॥ ५ ॥ मोहतणो हजी जोर बे रे लोल, तिल ए मदन दीपाय रे || रा० ॥ ब्रह्मादिक जिंत्या इों रे लोल, कीधा. कोडि उपाय रे ॥ रा० ॥ क० ॥ ६ ॥ यवसरसेंती सिद्ध वे रे लोल, सघली वातामांदी रे ॥रा० ॥ प्रातम बल विल फोरव्यां रे लोल, कष्ट किया फल नाहिं रे ॥ रा० ॥ क० ॥ ७ ॥ पें पण एहनी परें रे लोल, पाम्या पराजय ठाम रे ॥ रा० ॥ तो हमणां ए श्रेय बे रे लोल, जाइ प्रवचन गाम रे || रा० ॥ क० ॥ ८ ॥ वरशे संयम कन्यका रे लोल, तो ए बार समान रे ॥ रा० ॥ अरिहंतसुं साचा दुखां रे लोल, वधशे खातम वान रे ॥ रा० ॥ क ॥ ॥ आपने कोई खरो रे लोल, कायर मूको माल रे ॥ रा० ॥ अवसर जाणिने याखशे रे लोल, बहुविध लोकनी वाल रे ॥ रा० ॥ क० ॥ १० ॥ नलराजा पत्नी तजी रे लोल, हमें मूकी भूमि रे ॥ रा० ॥ यातमहित इ याचो रे लोल, नायो अपयश धूम रे ॥ रा० ॥ क० ॥ ११ ॥ राय विवेक वदे इस्युं रे लोल, ढील न कीजें खाज रे ॥ रा० ॥ नाजन नोज सिबेरे लोल, केही कीजें लाज रे ॥ रा० ॥ क० ॥ १२ ॥ तुं पूंठे ते यावजे रे लोल, सघला लोक लेइ साथ रे ॥ रा० ॥ हुं थी जाइने रे लोल, उलगगुं जगनाथ रे ॥ रा० ॥ क० ॥ १३ ॥ इण अवसर नर खाविया रे लोल, पहेला मूक्या जेह रे || रा० ॥ नमन करीने वीनवे रे लोल, सुरण साहिब ससनेह रे ॥ रा० ॥ क० ॥ १४ ॥ महेर घणी तुम उ परें रे जोल, ते साहिबनी आज रे || रा० ॥ कुशल प्रश्न बहु पूबिया रे लोल, हर्ष घणो जिनराज रे ॥ रा० ॥ क० ॥ १५ ॥ मिलण नली यावे सही रे लोल, अम चरणे एक वार रे ॥ रा० ॥ इम कहीने श्रम मूकीया रे लोल, वात जली निर्धार रे || रा० ॥ क० ॥ १६ ॥