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श्रीमोहविवेकनो रास.
३३ मलबोध नामें अg, सिपुरुष विख्यात लाल रे ॥प्र० ॥१३॥ण पुर माहे राजवी, अरिहंत नाम के जास लाल रे॥ तसु आदेश लही करी, ण वाडीमें वास लाल रे ॥ प्र॥ १४ ॥आवास पहेली नूमिका, बेसीने था राम लाल रे ॥ राखं सुख नरपूरा,वृत्ति दुवे अनिराम लाल रे ॥॥१५॥ राजाना परसादथी, मुऊने एहवं झान लाल रे ॥आगम नीगम वारता,सघ लांने समाधान लाल रे ॥प्र० ॥ १६ ॥ कर जोडीने कामिनी, याखे पु रुपने एम लाल रे ॥ उपकारी शिर सेहरो, सुणजे दुं कहूँ तेम लाल रे॥प्र० ॥१७॥अबला नारी एकली, नहानो पुत्र ए साथ लाल रे ॥ चमणतणुं फुःख झुं कहूँ, इक जाणे जगनाथ लाल रे ॥प्र०॥ १७॥ मया करीने जो इये,ए बालकनो हाथ लाल रे॥कहिये होशे एहने,प्रनुता संपद साथला ल रे ॥प्र॥ १५ ॥ नजरें जे देखा, वारु एहनी वार लाल रे ॥ ए स घटुं मुझने कहो, आणी मन नपकार लाल रे ॥प्र० ॥ २० ॥ ११५॥
॥दोहा ॥ ॥ सिम पुरुष बोल्यो हवे,सुण नामिनी फुःख तुज ॥ दूर गयां दवे जा एजे, ए वाचा मुफ॥१॥ए बालक जे ताहरो, नत्तम लक्षणवंत ॥ सकल वातनो हुँ कहूं, ए माने एकंत ॥ २ ॥ तत्त्वरुचि नामा पुत्रिका, महारी के मनुहार ॥ गुजाचार दारा कुखें, उपनी ते निर्धार ॥३॥ तेसेंती तुज पुत्रने, परणावो बदु प्रेम ॥ अविचल जोडी एहनी, होशे कुराला देम ॥ ४ ॥ वर कन्या बेहू जलां, लेह लोग संयोग ॥ चं अने पूनम तणो, पूरण मलियो जोग ॥ ५ ॥ एह वचन सुंदर सुणी, देखी कन्या सार ॥ लावण्य लक्षण देखिने, पामी हर्ष अपार ॥ ६॥ नाग्य नबुं मुज पुत्रनु, ए घर घरणी थाय ॥ घरमें लक्ष्मी श्रावती, क्युं टेलीजें पाय ॥७॥ निशलु शय्या लहे, तरष्यो अमृत पान ॥ नूरख्यो पायस नां तजे, लाधो रंक निधान ॥ ७ ॥ निवृत्ति नारी मानियु, सिमवचन शिरदार ॥ लग्न तेह दिन साधियुं, न कयो को विचार ॥ ए॥
॥ ढाल सातमी॥ ॥ उसह उलह किसन हो, उलहिणी राधिका जी ॥ ए देशी ॥ कुंव र कुंवर विवेक हो, लामी तत्त्वरुचि जी, परणे परम नन्नास ॥ विलंब वि लंब न कीधो हो, वहाले वागमें जी, विस्तरीयो जसवास | कुं० ॥१॥ म