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________________ श्रीसम्यक्त्वसित्तरी. Չնս एवामां वृक्षवादीसूरि पण कोई कार्यार्थ घणा शिष्यने परिवारें बाहिर नि कल्या बे. तेवारें सिक्ष्सेनें बात्रोने पूछु ए कोए श्वेतांबर जाय ? बारें कमु ए वृक्षवादी सूरि वादि मदनंजन जाय . ते सांगली सिक्ष्सेन, तेमनी पासें आव्या अने कहेता हवा के तमा री साथें हूँ वाद करीश. आचार्य कर्तुं इहां रानमां श्यो वाद करवो, इहां पोकार करवाथी झुं वलवानुं ले चालो नगरमां जराज्यसनायें वाद करी ये. सिक्ष्सेने कयुं आ गोवालीया आपणा सादी के एज हार जीत कहे शे, ते आपणने प्रमाण अ. गुरुयें विचायुं जे ए पंमित तो ने पण उता वलीयो ले. तेवारें गुरुये कह्यु पूर्वपद कर. पली सियसेने गाढे स्वरें पूर्वपद कयो, अने संस्कृतनाषांमां कठिण काव्य बोलवा लाग्यो, गोवालीया बोल्या एने तो नूत लाग्युं जणाय ? कोरीतें ए बोलतो रहेतो नथ। महोटे सार्दै बोलीने अमारा कानने पीडा करे जे हवे ते वारंवार तर्कवादें जेवारें पारडी थाक्यो? तेवारें वृक्ष वादीने कहेवा लाग्यो के हवे तमें उत्तरपद करो. वृक्षवादी मनमां चिंतव्युं जे आ गोवालीयानी सनामांश्यो तर्कवा द करीयें ? इहां तो अांधलाने ारीसो देखाडवानो न्याय थाय, माटें विचार करीने काबडो बांधी रजोहरण केडमां बांधी घीहीणीबंदनी राशि जगता कांश्क नाचता कूदता थका मुखथी एवी रीतें कहेता हवा. तद्य था ॥ नवी मारीयें नवी चोरी परदारा गमन निवारीयें, थोवाथो दा इये, तो सर्गे दडवडी जायें ॥१॥ कालुंकांबल नीचोवट्ट, बाशें नरीयो दीवडो थट्ट ॥ एवड पडीयो नीले जाड, अवर किश्युं ने सग्ग निलाड ॥ ५॥ इत्यादिक बंद नाता जाय अने दामो नबाली नाचता जाय, तेवा रें गोवालीया पण लाकडी उबाली गुरुने प्रदक्षिणा देता नाचता दुवा अने कहेता दवा के प्राववादी गुरु महोटा पंमित ने अने या बापडो बां नगीयो तो मात्र महोटा पोकार करी जाणे , पण कांइ नण्यो नथी. एवं गोवालीयानुं वचन सांजली सिक्सेन ब्राह्मण आवी गुरुने पगें लागीने कहेवा लाग्यो जे दुं तमारो शिष्य थयो मुझने दीक्षा आपो तमें समयना जाण बो अने हुं समयनो जाण नथी माटें हुँ मूर्ख ढुं तेथी हुँ हास्यो अने तमें जीत्या तेने गुरुये कह्यु एथी तुं कां हास्यो नथी बने हुँ
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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