________________ भा० दि. जैन परिषद् के पाक्षिक पत्र के ग्राहक बनिये 'वीर' का जन्म केवल आपके धर्म, आपकी समाज तथा आपके देश के लिए ही हुआ है। इसका एक मात्र नउद्देश्य दिगम्बर जैनधर्म का प्रचार और जैन समान की उन्नति करना है। 'वीर' सदैव संसार के नैन अजैन लेखकों व धुरन्धर कवियों की रचनाओं त्या नवीन समाचार गल्प आदि से विभूषित होकर नियत समय पर प्रतिपक्ष प्रकाशित होता है। . 'वीर' का प्रत्येक अङ्क पढ़ने योग्य होता है / इसके लेख मनन करने योग्य और कवितायें गल्प आदि मनोरंजक होती हैं / विशेषाकों के चित्र दर्शनीय और बाहिरी आकृति केवल 2 // वार्षिक मूल्य होते हुए भी मन मोहक है / 'वीर' के ग्राहकों को प्रति वर्ष दो सुन्दर विशेशाकों के अतिरिक्त एक उत्तम धार्मिक ग्रन्थ भी उपहार में मिलता है। अतः 2 // मनीआर्डर द्वारा भेज कर अवश्य ग्राहक बनिए। पताः- राजेन्द्र कुमार जैनी, प्रकाशक "वीर" विजनौर (यू०पी०)