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के फहराने में मदद मिली। जैन धर्म लिच्छिवियों का तो राजधर्म वन ही चुका था । तदन्तर चम्पा, सिन्व-सौवीर, कौशाम्बी अवन्ति आदि के नरेश भी उसके प्रभाव में आ गये । इस प्रकार वैशाली और चम्पा के अतिरिक्त श्रावस्ती और अवन्ति (उज्जन) भी इस धर्म के पीठ-स्थान बन गये। सिकन्दर के आक्रमण के समय जैन साधु ठेठ सिन्धु नदी के तट तक पाये जाते थे।
१-राष्ट्रधर्म (तीर्थन्कर महावीर विशेषांक) श्री कृष्ण वल्लभ द्विवेदी-पृ० १६