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( १०४ ) मिली थी।
५. कर्नाटक सलके उत्तराधिकारियों प्रमुखतः विनयादित्य प्रथम तथा उसके वंशजों ने जैन धर्म को महान संरक्षण दिया। ६. विष्णुवर्धन के सेनापति हुल्ल जैन धर्म का अनन्य भक्त था। राजा नरसिंहदेव ने जैन धर्म के प्रति जो उदारता बरती उसमें हुल्ल का ही हाथ था।
७. चामुण्डराय बड़ा उदार एवं दानी था । जैन धर्म के लिये किये गये उसके अथक प्रयासों ने उसे भारतीय इतिहास में अमर वना दिया। श्रवणनेलगोला में ५७ फिट ऊंची गौम्मटेश्वर की मूर्ति की स्थापना उसी ने की थी। . ८. विजय नगर के राजाओं की जैन धर्म के प्रति उदारता के सन्दर्भ में एक प्राचीन शिलालेख पर यह अंकित मिलता है कि जो भी इस जिन धर्म का विरोध करेगा वह अपने "महामहत्" के शिष्यत्व से बहिष्कृत कर दिया जायेगा । वह शिव का द्रोही तथा विभूति, रुद्राक्ष, लिंग तथा पवित्र तीर्थ काशी और रामेश्वर की अविनय करने वाला समझा जावेगा । इस पर सव वीर शैव नेतानों ने हस्ताक्षर किये। ९. चगाल्व राजाओं के इतिहास में एक उल्लेखनीय व्यक्ति सेनापति मंगरस है । मंगरस सुयोग्य सेनापति होने के साथ ही कन्नड़ भापा का चतुतं कवि और जैन धर्म का संरक्षक था ।४ १-वही-दक्षिण भारत में जैन धर्म-पृ० ७१ २-वही- " " पृ० १०८
' पृ० ११५, १४८
,
४-वही
पृ० १०८
पृ० १५२