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________________ * . 68 यदि विटनायें भौतिक वस्तु से उत्पन्न होती हैं तो दोनों में तर क्यों पाया जाता है। तात्पर्य कि भौतिक और उससे उत्पन्न नेतना में काफी अन्तर होता है। इसका कारण क्या है' क्यों एक ही वस्तु के विष्य में ही ला को विभिन्न समयों में विभिन्न अनुभूतिगा लोगी ' अधया : 14 मई माताओं को एक ही में विभिन्न अनुभूतिया क्यों होती है चारतापाद के सामने यह सबसे दिल प्रपा पान और भी जमा हो जाता है यदि वास्तववादी भोतिक विधान है। विटनाओं से निकला STHIT 30एमएमाण के प में प्रस्तुत पास कि यो रोल दी गई कार | tita की द्वाविष्ट से हमारा मान निदना से निकला है लेकिन गादि भोपिन सत्य है तो भी हमारे विदनों ओर उन बाह्य कारणों में रानी समसमानता है कि यह काटना कठिन है कि सलेदनाओं हम बाहय वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। समामा सयरी और जटिल हो जाती है कि भौतिक विज्ञान संवेदनों से ही अनुमित के 121 रसेल प्रश्न करते हैं, प्रारण क्या है' जैसा कि मैं इस शब्द का प्रयोग करता हूँ, सामान्य तम, के पदों में राष्ट है, क्या होता है जब मैं चार देखता हूँ अथवा कुछ सुनता हुँ या अन्यथा मैं अपने पर विश्वास करता हूँ कि में अपनी इन्द्रियों पर कुछ चीजों अवगत होता है। हम विश्वास की है कि सूर्ग सदा है 'किन्तु मैं केवल कुमय इसे देखता हूँ, मैं इसे रात में या गच्छन्न मौसम में नहीं देखता गा दुसरा काम करता होता हूँ तब भी नहीं देता। हूँ। किन्तु उन प्रत्येक अवारों पर जब मैं सूर्य को देखता हूँ। उनमें एक निश्चित समानता होती हैं जिसने मुझे सही अपसरोंपर “सूर्य" शब्द का प्रयोग करने के योग्य बना दिया है। कुछ समानतायें विभिन्न अवसरों पर जब मैं सूर्य को देता हूँ स्पटल से मुझमें हैं, उदाहरण के लिये मुझे अपनी आ खोलनी चाहिये और सीधी तरफ मना चाहिये, इसलिये इन्हें हम सूर्य की विशेषer मान सकते हैं।
SR No.010238
Book TitleJain Gyan Mimansa aur Samakalin Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlpana Agrawal
PublisherIlahabad University
Publication Year1987
Total Pages183
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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