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________________ प्रस्तावना विबुधश्रीधर शालिभद्रसूरि शालिभद्रसूरि शुभकोति श्रीचन्द श्रीधर श्रीधर श्रुतकोति सहरणपाल सागरदत्तसूरि साधारण ब्रह्म पासपुराण (र०सं० ११८६), वड्ढमाणचरिउ (र०सं० ११६०), चंदप्पहचरिउ (अनुपलब्ध) पंचपंडवचरितरास (सं० १४१०) भरतबाहुवलीरास (सं० १२४१) मुद्रित शान्तिनाथचरिउ कहाकोस्, रयगाकरंडसावयायार (र० सं० ११२०) सुकमालचरिउ (र० सं० १२०८) भविसदत्त पंचमीकहा (र० सं० १२३०) हरिवंस पुराण (सं०१५५२) परमेष्ठीप्रकाशसार, धर्मपरीक्षा, जोगसार (१५५२) सम्यक्त्व कौमुदी जबूस्वामीचरित्र (सं० १०६०)। कोकिला पंचमीकहा, मुकुट सत्तमी, दुधारसी कथा, आदित्यवारकथा, तीन चउवीसीकथा पुष्पांजलिवयकहा, निर्दुहसत्तमी कथा निज्झरपंचमी कहा, अनुप्रेक्षा (सं० १५०८ से पूर्व) पज्जुण्णचरिउ, खंडित " पूर्ण (उद्धारित, संभवतः १२वीं १३वीं शताब्दी) सुप्पयदोहा (वैराग्यसार) कुमारपाल प्रतिबोध (सं० १२४१) मुद्रित पउमचरिउ, हरिवंसपुराण, पंचमीकहा, स्वयंभू व्याकरण (अनुपलब्ध) अगाथमीकहा वड्ढमारणकव्व, मल्लिनाथकव्व मदन पराजय संभवतः वि० की १५वीं शताब्दी सनत्कुमारचरिउ (सं० १२१६) णेमिकुमारचरिउ मुद्रित धम्मपरिक्खा (सं० १०४४) हेमशब्दानुशासन देशीनाममाला मुद्रित सिद्धकवि सिंहकवि सुप्रभाचार्य सोमप्रभसूरि स्वयंभ हरइंद (अग्रवाल) हरइंद (हल्ल या जयमित्र) हरिदेव हरिभद्र हरिभद्र हरिषेण हेमचन्द ग्रन्थ और ग्रन्थकार पहली और दूसरी प्रशस्तियां क्रमशः 'पउमचरिउ और रिटणेमिचरिउ' की हैं। उनके कर्ता कवि स्वयंभू व त्रिभुवन स्वयंभू हैं । स्वयंभू की रामकथा पउमचरिउ या रामायण बहुत ही सुन्दर कृति है । इसमें ६० सन्धियां हैं, जो पांच काण्डों में विभक्त हैं। विद्याधर काण्ड में २०, अयोध्याकाण्ड में २२, सुन्दर काण्ड में १४, और उत्तर काण्ड में १३ सन्धियां हैं। जिनमें स्वयंभूदेव रचित ८३ सन्धियां हैं, शेष उनके पुत्र त्रिभुवन स्वयंभू द्वारा रची गई हैं। ग्रन्थ में प्रारम्भिक पीठिका के अनन्तर जम्बूद्वीप की स्थिति, कुलकरों की उत्पत्ति, अयोध्या में ऋषभदेव की उत्पत्ति तथा जीवन-परिचय; लंका में देवताओं और विद्याधरों के वंश का वर्णन, अयोध्या में राजा दशरथ और राम-लक्ष्मण आदि की उत्पत्ति, बाल्यावस्था, जनक पुत्री सीता से
SR No.010237
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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