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________________ १६४] वीरसेवा मन्दिर अन्यमाला । १०३ गणधर प्रशस्ति संग्रह में उल्लिखित जिन-जिनालय धुबरीण (घ्र वसेन) नक्षत्र अंगपाठी मुनि मादि माग (नागसेन) पजिय जिणेस (पजित जिनेश) ११८ नेमि जिन (नेमिनाथ बाबीसवें तीर्थकर) मज्जियाहं (पायिकाएँ) १०७ नेमिरणाहु (नेमिनाथ) परहंत देव पंडु (पांडवसेन) प्रह-गेह (परिहंत मन्दिर) ५८ परिणयार (चंत्यालय परिणयार) मरुहदेव (भरहंत देव) पासणाहु (पाश्वनाथ तेवीसवें तीर्थकर) प्रवरज्जिय (अपराजित) २, १२ पोठिल्ल (प्रोष्ठिल्ल) भाइ जिणिद (मादिनाथ जिन) १०७ बुद्धिल्ल प्राइनाह तित्थंकर पशिमा (मादिनाथ तीर्थकर प्रतिमा)८६ भद्दबाह (भद्रबाह श्रुतकेवली) इन्दभूइ (इन्द्रभूति) महावीर (चौबीसवें तीर्थकर) इन्दभूति (गणधर महावीर) ३६ रिसह (ऋषभ) कसाचार्य रिसह जिणंद (ऋषभ जिनेन्द्र) खत्तिय (क्षत्रिय) रिसहेसरु (ऋषभेश्वर) खुल्लय (क्षुल्लक) लोहाइज्ज (लोहार्य) गगदेव बडमाण (वर्षमान तीर्थकर) ३७, १०७ वड्डमाण जिणु १०७ गौतम (इन्द्रभूति) १२ बर्माण तित्यकर (वर्धमान तीर्थकर) गोत्तमेण (गौतमेन) १२ वड्डमाण (जिणहरि) (वर्षमान चैत्यालय गोयम (गौतम) ...६३, ११, १०२, ११०, १३५ . बहुमाण भवन (वर्धमान मन्दिर) गोयमसामि (गौतमस्वामि) १०५ विजयदेव गोवद्धण मुनि ६३ विजयसेण गोवडणासु (गोवर्द्धन) ५ विण्ड (विष्णु) कुमार गोवर्द्धन (श्रुतकेवली) ४२ विण्ह (विष्ण) मुनि गौतम (गोयम) ४२ विष्णनंदि चंदप्पर जिन मन्दिर (चन्द्रप्रभ) विसाह (विशाख) चेईहरु (चैत्यालय) वीर जिन चेयाल (चैत्यालय) जंबुसामी (मंतिम केवली) वीर जिणिद्र (वीर जिनेन्द्र) २१, ११०,१३५ जंबूस्वामी (केवली) यिष्णु सेन (ऋषि) ११, ३५ जयपाल वीरहो १०७ जयभद्र श्रुत केवली जसभद्र जिरणचेईहर (जिन चैत्यालय) संनिहुतित्थणाह (शांतिनाथ तीर्थकर) जिणवर संभवजिन जिविहार (जिनमन्दिर) सम्मति जिणहर (जिनमंदिर) जिनालय (उद्धरण संघवह का) ससिपह (चन्द्रप्रभ) जिनेन्द्र नंदिमित्त (मित्र) सिद्धार्थ (सेन) गाहेयहो णिकेत (मादिनाथ मंदिर) सुषम्म सुधर्म . (जिसको नट्टल साहू ने बनाया) सुधर्म (सोहम्म) गणधर महावीर २,४२, ७७ गमीसर जिणहर धम्मसेण (धर्मसेन) १२ सुभद्द (सुभद्र) वियसेण (तिषण) १५ समवशरण (तीपंकर सभा) १३० ५६, ६४
SR No.010237
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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