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________________ वीरसूरि वीरसेन वृषभनन्दी शुभचन्द्र शुभचन्द्र देव शुभचन्द्र भट्टारक शान्ति कवि श्रीकित्ति (श्रीकीर्ति) श्रीकीर्ति (मुनि) श्रीकुमार श्रीचन्द्र श्रीचन्दु श्रीधर श्रीवर कवि श्रीपाल (ब्रह्म) (ब्रह्म श्रीपाल ) श्रीषेणसूरि श्रीहर्ष श्रुतकीर्ति संतिदास (शान्तिदास) संतसेण (शान्तिषण) समन्तभद्र (प्राचार्य) यंभू (स्वयंभू) भू (कवि) यंभू महाक जैनग्रन्थ प्रशस्ति-संग्रह ५५ ८, १६, २५, २७ ३ ८ १३० ६० सिंहक वि ६ सन्दी ८ सिंहनन्दी मुनि ७, २३ मुव माल स्वामि २५ ७, ८, ६, २५ १२६ ८, १०, १६, १७ ४., ४७, ४८, ४६ ७८ १४ १६, २५ ७, ८, १११, ११२, १३३ ५६ १४ ८२५, ३८ १, ४, ८, २५, २७ ३५, ६६ ८२ ܘܕ सलक्खण सहसिित (सहस्रकीर्ति) ८, ६७, ७३, ७७, ६१, १३० सहस्रकीति ४१, ४३ ४० सहलकीर्ति (मुनि) साधारण ब्रह्म (ब्रह्म साधारण ) साहारण (साधारण कवि) साहारण ( मुनि प्रथकीत शिष्य ) | ११६, १२०, १२२ ११४,६११५, ११६ साहित्य (भद्र) कह सामिह (शालिभद्र ) सिद्ध कवि सिद्धसेन १२१ ३५ १२ सिद्धसेन मुनि सिद्धार्थसेन सिरिचंद (श्रीचन्द ) सिरिहरस्स (श्रीहर्ष) विदि २१ ५, ११, ३५, ३८ सुदकित्ति ( श्रुतकीर्ति) सुदकित्ति ( श्रुतकीर्ति) सुयंभू सुचन्द (शुभचन्द) सुहचन्ददेव (शुभचन्द्रदेव ) सुरसेण ( देवसेन) (मेधेश्वर चरित्र - कर्ता) सूग (बुह - पंडित सूरदास) सेढ़ कवि सेढुमहाकवि सोमएव (सोमदेव ) स्वयंभू हरदेव कवि हलिय हल्लकड़ हल्लइकइ हरिहंद (हरिचंद ) हरिचन्द कवि हरिदि (मुनि) हरिभूषण हरियंद (हरिचन्द अग्रवाल कवि ) हरिसागर मुनि हरिषेण हरिसेणु हेम (हेमचन्द प्राचार्य) हेमकिति (हेमकीर्ति) हेमचन्द [ १६३ ૬૪ १२ ११५ २ ११४, १२५ २०, २२ ११, २५ ३५ १० ११२, १३४ १३५ ११३ ८८, ६०, ६१, १२६ ११२ ८२ ५६, ६१ ३५ १२ ३३, ३४ १७, १६ १०६ १६ १२८ १३१ ४८ Ye ८ ११६, १२०, १२२ १०८ २५ ५ १६ ६० ५७, ७१ ५७
SR No.010237
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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