________________
२८1
वीरसेवामन्दिर-ग्रन्थमाला
जाह दावणगण-बाह-पम-छत्त, नावरण-पुराण-धण-लोल-चित्त । नहिं चरड चाड कुसुमाज मेड, दुज्जग-सखुद-खल-पिसुण-एछ । ण वियंभहि कहिमि य धण-विहीण, दविणड्ढ पिहिल पर धम्म-लीय। पेम्माणुरत्त परिगलिय-नाव, महिं वसहि वियक्खण मणुव सम्व । बावार सम्व जाहिं सहहि णिच्च, कणयंवर-भूसिय-यमिश्च । तंबोल-रंग-रंगिय-धरग्ग, जहि रेहहिं सारुण-सयल-मग्ग। तहिं गरवइ बाहवमल्ल-एउ, दारिद समुत्तारण-स-सेड।
करवाल-पट्टि-विप्फुरिय-जीहु, रिउ-दंड-चंड-सुडाल-सीहु । माह-विसम-साह सुदाम-धामु, घउ सायरत-पायडिय-णामु । गाणा-लक्खण-लक्खिय-सरोरु, सोमुज्जल सामुद्दय-गहोरु: दुप्पिच्छ-मिच्छ-रण-रंग-मल्लु, हम्मीर-वीर-मण-नठ-सल्लु । चउहाणवंस-तामरस-भाणु, मुणियह न जासु भुय-बल-पमाणु चुलसीदि-खंड-विरणाण-कोसु, छत्तीसाउह पयडण-समोसु । साहण-समुह बहुरिद्धि-रिद, अरि-राय-विसह-संकरु पसिद्ध ।
उब्वासिय-परमंडलु दसिय मंडलु कास-कुसुम-संकास-जसु। पालिय-खत्तिय-सासणु परबल-तासणु ताण मंडल-उब्बासणु। छन-कुल-बल-सामत्थे णीह-णयत्थे कवणु राउ उमियइ तसु मह-जस-पसर-पयासणु णव-जल-हरसणु दुरणय-वित्ति-पवायण णिय-कुल-कहरव-षण-सिय-पयंगु,
तहो पट्ट-महाएवी पसिद्ध, गुण-नयणाहरण-विहूसियंगु ।
ईसरदे पणयणि पणय-विद्ध । प्रवराह-वलाहय-पलय-पवणु,
णिहिलते उर-मज्मए पहाण, मह मागह-गण-पडिदिएण-तवणु।
शिय-पइमण पेसण-सावहाण । दुम्बसण-रोय-पासण-पवीणु,
सज्जय-मण-कप्प-महीय-साह, किउ अखलिय-सुजस मयंकु मीणु।
कंकण-के ऊरंकिय-सुबाह। पंचंग-मंत-वियरण-पवीणु,
छण-ससि-परिसर-संपुण्य-वयश,
मुक्क-मल-कमल-दल-सरल-पयण । माणिणि-मण-मोहणु मयरकेड,
पासा-सिंधुर-गह-गमण-जील, णिरुवम-अविरल-गुण-मणि-णिके।
बंदियण-मणासा-दाण-सील । रिउ-राय-उरत्थल-दिगण-होरु,
परिवार-भार-धुर-धरण-सत्त, विसुमुण्णय-समर-भिडंत वीरु।
मोयई अंतर-दल-ललिय-गत्त । . खगाग्गि-हिय-पर-चक्क-वंसु,
छईसण-चित्तासा-विसाम, विवरीय-बोह-माया-विहंसु।
चउ-सायरंत-विक्खाय-णाम | अतुलिय-धन खल-कुल-पलय-कालु,
अहमल्ल-राय-पय-भत्ति-जुत्त, पहु-पट्टालंकिय विउल-मालु।
अवगमिय-णिहिल-विरणाण-सुत्त । सर्तग-रज्ज-धुर-दिण्ण-खंधु,
णिय-पदणाहं चिंतामणीच, सम्माण-दाण-योसिय-सबंधु ।
णिय-धवलग्गिह-सरहसिखीव । थिय-परियण-मण मीमत्सण-दच्छु,
परियाणिय-करण-विलास-कग्ज, परिवसिय-पयासिय केरकच्छु ।
रूपेव जित्त-सुत्ताम-भज्ज ।